पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य के भूमिहीन गृहविहीनों को घर बनाने के लिए जमीन देने के बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जारी आंकड़ों को भ्रामक व आधारहीन बताया है। पार्टी ने नीतीश सरकार के द्वारा डी. बंदोपध्याय के नेतृत्व में गठित भूमि सुधार आयोग की अनुशंसा को कड़ई से लागू करने की मांग की है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव पूर्व विधायक राम नरेश पाण्डेय ने आज जारी प्रेस बयान में कहा है कि राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के आंकड़ो के आधार पर राज्य सरकार ने दावा किया है कि अब तक बिहार में बसेरा अभियान के तहत तीन चैथाई भूमिहीनों को घर बनाने के लिए जमीन बांटी जा चुकी है और मात्र 26 हजार 394 परिवारों को ही घर बनाने के लिए जमीन देना शेष रह गया है। यह दावा पूरी तरह सेे भ्रामक और गरीबों के आंख में धुल झोकने वाला है।
राज्य सचिव ने कहा है कि नीतीश सरकार ने ही राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संकल्प ज्ञापांक 8/भू.सु.-12/2006-1163(8) रा0 दिनांक 16.6.2006 के द्वारा डाॅ. बंधोपाध्याय की अध्यक्षता में भूमिसुधार आयोग का गठन कर उनसे अनुशंसा की मांग की थी। डाॅ. बंधोपध्याय ने अपनी जांच रिपार्ट राज्य सरकार को समर्पित करते हुए अपनी अनुशंसा में कहा था कि राज्य में भूमिहीन, गृहविहीन लोगों की कुल संख्या 5.84 लाख है जिन्हें बिहार सरकार द्वारा प्रत्येक परिवार को 10 डिसमिल जमीन दिया जाय। लेकिन राज्य सरकार ने ऐसे गृहविहीनों की संख्या मात्र 1 लाख 16 हजार 695 बताते हुए दावा किया है कि इनमें लगभग 77 प्रतिशत से अधिक भूमिहीन परिवारों (90,301) को प्रति परिवार 5.5 डिसमिल जमीन देना शेष रह गया हैं।
राज्य सचिव श्री पाण्डेय ने कहा कि राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सिर्फ ग्रामीण भूमिहीन बेघरों की बात की है। शहरों में बसे बेघरों की चर्चा अपने आंकड़ो में नहीं की है। पटना शहर के मलाही पकड़ी में हाल ही झोपड़ी उजाड़ो अभियान में पुलिस लाठी चार्ज में भूमिहीन बेघर परिवार के युवक की मौत हुई और पटना शहर में भी ऐसे बेघर लोगों की संख्या राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के आंकड़ो को गलत एवं भ्रामक साबित करने को पर्याप्त है। राज्य के अनेक जिला मुख्यालयों एवं अन्य शहरों में ऐसे बेघरों की संख्या बहुतायत में हैं। राज्य सरकार इसके आंकडे जारी करे और इन परिवारों को घर उपलब्ध कराए।
रामनरेश पांडेय ने कहा कि गांव में भी एक छोटे से इंदिरा आवास में उस परिवार की तीन पीढ़ियां रह रही है जबकि एक परिवार पति, पत्नी व उसके नाबालिग बच्चे का होता है। सरकार ऐसे परिवारों को चिन्हत करे और सभी को रहने के लिए घर सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि आज गांव में जिन परिवारों को वास की भूमि के लिए पैसे मिले हैं वह राशि भी कम है आज गांव में भी रहने योग्य भूमि की कीमत 10 लाख रूपये है ऐसे में सरकार को इस पैसे को भी बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैसे बेघर परिवार जिन्हें वास की जमीन तो पूर्व में वितरित कि गयी है पर जिस भूस्वामी की जमीन सरकार ने उन्हें दी है उस जमीन पर भूस्वामियों ने फिर से कब्जा कर लिया है। अब वे बेघर भूमिहीन परिवार वास की जमीन मिलने की उम्मीद में टकटकी लगाये बेचारा की स्थिति में है पर सरकार उन बेघर परिवारों को उस जमीन पर पुनः कब्जा दिलाने में अक्षम साबित हो रही है।
भा.क.पा. राज्य सचिव ने राज्य सरकार से मांग की है कि वे भुमिसुधार आयोग के अध्यक्ष डी. बंधोपध्याय की अनुशंसा को कड़ाई से लागू करने की दिशा में आगे बढ़ें ताकि राज्य में भूमिहीन गृहविहीनों की समस्या का समाधान हो सके।
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं. व्हाट्सएप ग्रुप व टेलीग्राम एप पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें. Google News पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें)