औरंगाबाद में इस जगह 55 एकड़ में हो रही घोटाले की खेती, कट रही फसल

कट रही फसल जांच हाेने पर उजागर होगा लाखों का घोटाला

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समाज सुधार यात्रा पर औरंगाबाद आने के पहले लम्बे समय से चल रहा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। घोटाला का यह खेल कुटुम्बा प्रखंड के कझपा के सरकारी कृषि फार्म यानी बीज गुणन प्रक्षेत्र में अरसे से चल रहा है।

डीएम से की गई शिकायत से मिले घोटाले के संकेत

यह घोटाला इस फ़ार्म में पहले काम कर चुके एक कर्मी की शिकायत से उजागर हुआ है। शिकायत में शिकायतकर्ता रामजी ठाकुर ने घोटाला किए जाने के तौर तरीकों की बिंदुवार चर्चा की है। हालांकि शिकायत के आलोक में जब मीडिया की टीम मौके पर पहुंची तो बात शिकायत से भी बड़ी नजर आई।

टनटन टन टना टन और दे दना दन रूपये बनाने का माहिर खिलाड़ी

गौरतलब है कि कुटुम्बा प्रखंड के कझपा गांव में सरकारी कृषि फार्म के 55 एकड़ में बीज गुणन प्रक्षेत्र फैला हुआ है। यहां किसानो को अच्छे नस्ल का बीज उपलब्ध कराने के लिए धान, अरहर, गेहूं और अन्य फसलों की खेती विभागीय स्तर से कराई जाती है। विभाग ने इस फार्म में खेती कराने की जिम्मेवारी प्रक्षेत्र प्रभारी के रूप में तेलहारा पंचायत के कृषि समन्वयक आशुतोष कुमार उर्फ टनटन सिंह को दे रखी है। कहते है कि टनटन टन टना टन और दे दना दन रूपये बनाने के माहिर खिलाड़ी है। इसी खेल में वे बीच में यहां से हटाए भी गये है लेकिन जुगाड़ लगाकर पुनः काबिज हो गये और फिर टन टना टन के खेल में लगे हुए है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि यहां लम्बे समय से गड़बड़ी हो रही है और जांच होने के बाद लाखों का घोटाला सामने आ सकता है।

घोटाला, चोरी और सीनाजोरी भी, बिना बिजली कनेक्शन केे चलता है मोटर पंप

हालांकि मीडिया की टीम को शिकायतकर्ता की शिकायत से भी बड़ी बाते नजर आई। शिकायत से भी बड़ी और हैरतअंगेज बात यह है कि सरकारी बीज गुणन प्रक्षेत्र होने के बावजूद यहां बिजली का कोई कनेक्शन नही है। इसके बावजूद यहां खेतों की सिंचाई के लिए अरसे से एक नही बल्कि आधा दर्जन मोटर पंप चला कर लगातार पटवन का कार्य किया जाता रहा लेकिन कृषि विभाग ने बिजली का कनेक्शन तक नही लिया। इस ओर सवाल दागे जाने पर यहां काम करने वाले कर्मी हलवाहा अनील कुमार का जवाब भी अचरज में डालने वाला है। कई सालो से यहां काम करने के बावजूद वह कहता है कि उसे कुछ नही पता।

बिजली चोरी छिपाने का पूरा इंतजाम, डीजल केे नाम पर भी खेल

यहां बात बिना कनेक्शन के मोटर पंप चलाने पर ही खत्म नही होती बल्कि चोरी और सीनाजोरी के तर्ज पर बिजली की चोरी को छिपा लेने का यहां पूरा इंतजाम है लेकिन बदकिस्मती कहिएं कि ये इंतजाम ही इसकी पोल पट्टी खोल देते है। मतलब बिजली की चोरी छिपाने के नाम पर यहां का जेनरेटर सेट कब का खराब पड़ा हुआ है और डीजल पंप सेट का भी यही हाल है। ऐसे में ये सामान भी इस बात की चुगली कर रहे है कि यहां चोरी की बिजली से ही सारा काम होता है और उनके नाम पर डीजल की भी चोरी हो रही है पर यहां के कर्मी इसपर बात भी नही करेंगे।

सिंचाई के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध, बेंच डाले पांंच सबमर्सिबल पंप

बात बिजली की चोरी और डीजल का घोटाला करने तक ही नही है बल्कि यहां तो सिंचाई के साधन के लिए कुछ भी करने की जरूरत नही है। यहां बारिश भी अच्छी होती है और नहर से पर्याप्त पानी भी आता है। साथ ही बीज गुणन फारम में कुआं भी उपलब्ध है, जो जीर्ण शीर्ण हाेने के बावजूद हमेशा उपर तक पानी से लबालब भरा रहता है। यही वजह रही कि यहां के कर्मियों ने यहां लगे 6 बिजली सबमर्शिबल मोटर पंप में से पांच को तो उखाड़ कर बेच ही डाले और अब मात्र एक ही चालू हालत में है। इस कैंपस में अब पंप के नाम पर सिर्फ बोर वाला स्थान ही नजर आता है। यहां पर जब बीज गुणन फारम के कर्मी अनील से यह पूछा गया कि यहां पंप कहां कहां लगे है तो उसने कहा कि उसे नही पता लेकिन जब मीडिया की टीम ढुंढ ढुंढ कर सारे पंपों को दिखाती गई तो हर पंप पर उसने जो रटे रटाये अंदाज में जो बाते कही वह गौर करने लायक है। उसने बार बार कहा कि उसे कुछ भी पता नही है।

यहां पग पग पर घोटाले ही घोटाले, गामीणों ने व्यापारी के हाथों बेचे जा रहे धान को पकड़ा, बेचने से रोका

मतलब साफ है कि यहां सिर्फ चोरी और सीनाजोरी ही नही बल्कि घोटाले दर घोटाले है। सही से जांच होगी और आकलन होगा तो रकम करोड़ो में जाएंगा क्योकि 55 एकड़ में खेती से हाेने वाली आमदनी का अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम थोड़े ही है पर मुश्किल यह है कि जमीन पर खेती का रकबा ज्यादा और कागज पर कम होता है और यही से जो असल घोटाला होता है, उसकी रकम विभाग में संभवतः उपर तक जरूर जाती है। इसी खेल को यहां के आसपास के लोगो ने उस वक्त उजागर कर दिया जब यहां उत्पादित धान की बिक्री बोरियों में भरकर व्यापारी के हाथों की जा रही थी, जिसे ग्रामीणों ने रोक दिया। घोटाले की यह कहानी अभी यही पर खत्म नही हो रही है बल्कि बात अभी बाकी है।

घोटाले का मास्टरमाइंड अभी मीडिया की पहुंच से दूर

अभी हमे बात इस घोटाले के मास्टरमाइंड कृषि समन्वयक आशुतोष कुमार उर्फ टनटन सिंह से करनी है, जिसके लिए हमारा प्रयास जारी है। वही मामले में कार्रवाई के लिए जिला कृषि पदाधिकारी से भी बात करने है ताकि घोटालेबाज नप सके।

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