करनाल। हाथ में तिरंगा थामे तिब्बती लेखक, कार्यकर्ता तेनजिन चुंडु चीन से तिब्बत की आजादी के लिए धर्मशाला हिमाचल प्रदेश से लेकर दिल्ली तक पांच सौ मील का सफर तय कर रहे है। यात्रा का उदेश्य भारत सरकार 70 सालों से चली आ रही एक चाइना नीति को बदले। चाइना से तिब्बत को आजादी मिले साथ ही भारत की सुरक्षा हो सके।
नैशनल हाइवे-44 पर हमें पैदल मार्च करते हुए तिब्बत की चाइना से आजादी, चाइना से भारत की सरक्षा की आवाज उठाने वाले तेजजिन चुंडु मिले, जो अपने साथियों के संग हाथ में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज थामे तेज कदमों से दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे। बातचीत के दौरान तेजजिन ने चाइना पर बरसते हुए कहा कि गलवान घाटी हत्याकांड के बाद चीन को एक जवाब देना है, वो जवाब लड़ाई-झगड़े से न होकर राजनीति जवाब होना चाहिए, ओर वो जवाब तिब्बत हैं।
तेनजिन ने बताया कि मैं भारत में पैदा हुआ तिब्बती हूं, जब भी चीन की ओर से कोई खतरा या दवाब भारत पर आता है तो मुझे डबल डयूटी लगता है।
एक तिब्बती होने के नाते, दूसरा भारत में पैदा हुआ भारतीय के नाते। जब भारत तिब्बत का मसला उठाएगा तो भारत को चीन का जवाब देने में बहुत आसानी होगी। लेकिन अभी तक भारत की ओर से ऐसा नहीं हुआ। जब चीन के सामने तिब्बत का मसला प्रमुखता के साथ नहीं उठाया जाएगा, तब तक चीन को करारा जवाब नहीं दिया जा सकता।
अब तक चीन को भारत सही से समझ भी नहीं पाया है, चीन तिब्बत पर कब्जा करने के बाद हिमालय की सीमा तक आ चुका है। पहले भारत-तिब्बत के बीच कोई सीमा नहीं थी। इस बारे में भारतीयों को ज्यादा जानकारी नहीं है। इन सब बातों को बताने के लिए पैदल मार्च निकाला जा रहा है।
तिब्बत पूरी तरह से चीन के कब्जे में है,तिब्बती लोग चीन के कब्जे में है। चीन के नीचे दबे लोग मुश्किल जीवन जी रहे है। मानवाधिकारों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है। तिब्बती लोगों को अपनी भाषा, संस्कृति बचाने में कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। पूरे देश को मिलट्री कैंप जैसा बना दिया। अगर भारत एक चीन नीति को नकारे तो बदले में भारत पावर पॉजिशन में आकर चीन को कड़ी चुनौती दे सकता है, करारा जवाब दे सकता है।
पैदल मार्च के दौरान जब मैं भारत के लोगों से मिलता हूं तो उनमें चाइना के प्रति काफी विरोध है। बताता हूं चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया है, भारत पर दवाब डाल रहा है, भारत चीन के दवाब में है। तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा हम सबके लिए अच्छा हे। भारत के लोग हमारी बातों को ध्यान से सुन रहे है, हमें पास बैठाते है, चाय पिलाते है। सब बोलते है कि चीन को कड़ा जवाब देना है।
तेनजिन ने बताया कि हमारी तो एक ही बात है, तिब्बत की आजादी ओर भारत की सुरक्षा। तिरंगा साथ लेकर चल रहा हूं, लोग गले मिलकर बातचीत करते है। प्रधानमंत्री इस बात को समझे ओर चीन को जवाब दे। बार्डर सेना हटने पर तेजजिन ने बताया कि जहां से सेना हटाई जा रही है, वो छोटा सा क्षेत्र है। चीन ने भारत को बार-बार धोखा दिया हैं। चीन ने भारत की पीठ पर छुरा भोंका है। भारत को चीन पर कतई विश्वास नहीं करना चाहिए।
पैदल मार्च का मकसद लोगों को तिब्बती लोगों की परिस्थिति से अवगत कराना है, जागरूकता पैदा करना है, नए दुष्टिकोण पैदा करना हैं। उन्होंने कहा कि पैदल यात्रा तो खत्म हो जाएगी, लेकिन एक चीन नीति बदलने की मुहिम जारी रहेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उनके समक्ष पीटिशन रखूंगा कि वन चाइना नीति में बदलाव लाए।
हम चाहते है कि सब देश मिलकर प्यार-मोहब्बत के साथ रहे। लेकिन आज का चीन बाकी देशों जैसा नहीं है। चीन में लोकतंत्र नहीं है। लोग चीन के नीचे दबे है, कष्ट सहन कर रहे है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि चाइना एक विस्तारवादी देश है। भारत को चीना दिखाने के लिए कोशिश करता रहता है। भारत के लोगों को ऐसी पूरी जानकारी चाइना की विस्तारवादी नीति को लेकर होनी चाहिए।
भारत करीब 70 सालों से वन चाइना नीति पर चला आ रहा है, भारत एकदम से नीति नहीं बदल सकता। लेकिन अब वन चाइना नीति को बदलने का वक्त आ गया हे। पूरी दुनिया चीन को बाहर का रास्ता दिखा रही है। वन चाइना नीति बदलने के लिए पूरी दूनिया सोच रही है। अब मौका है चीन को जवाब देने का। जिससे चीन पर निर्भरता खत्म होगी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री से गुजारिश है कि चीन का विरोध नहीं है बल्कि भारत का हित में है। एक चाइना नीति के चलते लोग कष्ट उठा रहे है। चाइना नीति नकारने में भारत राजनीति रूप से आत्मनिर्भर बनकर उभरेगा। भारत को एक ताकत मिलेंगी। चीन से डरकर नहीं, सीना ठोंककर अपनी जगह पर खड़े होकर चीन को जवाब देना चाहिए। भारत को अपनी ताकत समझनी होगी। जिससे एशिया ही नहीं बल्कि पूरी दूनिया में एक पहचान मिलेंगी।
भारतीयों को तिब्बत के बारे में कोई जानकारी नहीं है,भारत का बार्डर कभी चाइना के साथ नहीं रहा, बार्डर तिब्बत के साथ था। भारतीय चाइना बार्डर, चाइना बार्डर बोलते रहते है। जबकि ऐसा नहीं है। चाइना बार्डर नहीं है, तिब्बती बार्डर है। जिसकी सीमा 25 लाख स्कवेयर किलोमीटर है। लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्कम, भूटान, नेपाल कही पर भी जाए, सीमाओं में रहने वाले लोग बोलेंगे कि सबका भाईचारे का रिश्ता हैं। उनके धर्म, संस्कृति, भाषा जुड़े हुए है, हम सबका भाईचारे का रिश्ता है।
चीन तिब्बत में आ गया है, उसे अब करारा जवाब देना चाहिए। जिससे भारत की धाक एशिया ही नहीं पूरे विश्व में हो। तेजजिन ने कहा कि भारत तिब्बत का गुरु है, क्या गुरु को अपने चेले की मदद नहीं करनी चाहिए। तिब्बत भारत के साथ जुड़ा हुआ है। तिब्बत की आजादी के साथ ही भारत की सीमाएं सुरक्षित रह सकती है। भारत को तिब्बत का मसला उठाकर चीन पर दवाब बनाना चाहिए, जिससे तिब्बती लोगों को अत्याचारों से काफी हद तक मुक्ति मिलेंगी। वन चाइना नीति बदलने के लिए पैदल मार्च दिल्ली तक निकाला जा रहा हैं।