औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज़ 18)। किसान आंदोलन के समर्थन में औरंगाबाद जिला किसान समन्वय समिति ने सोमवार को शहर के रमेश चैक के पास शहीद जगतपति स्मारक परिसर में एक दिवसीय धरना दिया। धरना को एनडीए विरोधी कई दलों के नेताओं ने संबोधित किया। धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र की सरकार ने कृषि से संबंधित जो तीन विधेयक पास किए है, उससे न किसानों को फायदा होगा और न ही आमदनी दुगुनी होगी। ये तीनों बिल किसानों के खिलाफ है। इन कानूनों से अदानी, अम्बानी जैसे कारपोरेट घरानाें को फायदा होगा।
भाकपा के नेता इरफान अहमद फातमी ने कहा कि यदि ये तीनों विधेयक किसानों के पक्ष में है तो फिर किसानों से राय क्यों नहीं ली गई। संसद के दोनो सदनों में बहस क्यो नहीं कराई गयी। इससे साफ समझदारी बनती है कि तीनों विधेयकों से अदानी-अम्बानी को ही फायदा होने वाला है। देश में इस कोरोना काल में ऐसे विधेयक को लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। इन विधेयक के बहाने 1955 में बने कालाबाजारी कानून और जमाखोरी कानून को समाप्त कर दिया गया।
खाद्य पदार्थों के भंडारण पर लागू आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त कर दिया गया और जमाखोराें को छूट दे दिया गया कि जमाखोर अपने दूकान और गोदाम जितना चाहे खाद्य पदार्थ का संचय कर सकते हैं। इस कानून के तहत प्राईवेट कम्पनी के साथ किसान अपनी फसल का अनुबंध कर सकता है। इसमें किसान अपना खेत में फसल उगायेगा और प्राईवेट कम्पनी रेट तय करेगी। फसल काटने पर फसल तय रेट पर खरीदेगा। किसान अपना फसल कही किसी मंडी में बेच सकता है।
यह कानून एक देश और एक बाजार का हवाला देता है। इन तीनो विधेयकों के बदले सरकार संसद का आपातकालीन बैठक बुलाकर एक कानून बना दे कि किसानों के फसल का सरकार द्वारा जो न्यूनतम समर्थन मूल्य तय है, उससे कम दाम पर किसानों के फसल की खरीदी नहीं होगी। कम दाम पर खरीद पर कानूनी कार्रवाई होगी। अगर सरकार यह मांग मान लेती है तो किसान अपना आन्दोलन समाप्त कर देंगे अन्यथा आंदोलन जारी रहेगा। धरना सभा की अध्यक्षता कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरविंद सिंह ने की जबकि धरना को भाकपा के त्रिभुवन सिंह, माले के जिला सचिव मुनारिक राम, माकपा नेता उमेश सिंह, भारत भू-किसान समिति के अध्यक्ष भोला यादव, कांग्रेस नेता रामविलास सिंह आदि ने प्रमुख रुप से संबोधित किया। धरना के बाद धरनार्थियों ने डीएम को एक मांगपत्र भी सौंपा।