औरंगाबाद की अदालत में मरने के बाद भी आरोपियों पर चलता रहा मुकदमा, 57 साल बाद हुआ मामले का निस्तारण


औरंगाबाद(लाइव इंंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद की एक अदालत में 57 साल तक मकदमा चलता रहा। मामले में नामजद बनाये गये आरोपियों के खिलाफ अदालती खिलाफ कार्रवाई चलती रही। कोर्ट से सम्मन, वारंट, जमानती वारंट, अजमानतीय वारंट, कुर्की जब्ती और फरारी घोषित होने की कार्रवाई होती रही। मुकदमा चलते रहने के 57 साल बीत गये। तब जाकर पता चला कि मामले के चार नामजदों जिन्हे कोर्ट में बार-बार तलब किया जा रहा है, वें तो कब के स्वर्ग सिधार गये है।

यह बात जब कोर्ट के संज्ञान में आई तब जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पहल पर गुरूवार को मामले का निष्पादन हुआ। अदालती सूत्रों के अनुसार 23 नवम्बर 1966 को औरंगाबाद के कुटुम्बा थाना में प्राथमिकी संख्या-96/66 दर्ज हुई थी। थाना से मामला औरंगाबाद की अदालत में आया। कोर्ट में मुकदमा चलने लगा। इसी बीच मामले में 11 साल बाद एक प्रोटेस्ट कम्पलेंट के माध्यम से पुनः जीआर केस नंबर 1597/77 दर्ज हुआ। इस केस में भी न्यायिक प्रक्रिया आरंभ हुई।मामला विभिन्न अदालतों से होते हुए वर्तमान में यह वाद यहां कि न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमती नेहा दयाल के न्यायालय में विचारण हेतु लंबित था। इस वाद में चार अभियुक्तों सिमरा निवासी रामचंद्र सिंह, जगनारायण नोनिया, राम दहिन नोनिया एवं सुमी नोनिया को कोर्ट में उपस्थिति हेतु लम्बे समय से तलब किया जा रहा था। तब विद्वान न्यायिक दंडाधिकारी ने इस वाद की स्थिति को देखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को पत्र के माध्यम से संबंधित अभियुक्तों की खोजबीन तथा उनसे संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।

Aurangabad Cibel Court

अनुरोध के आलोक में प्राधिकार ने पारा विधिक स्वयंसेवक को प्रतिनियुक्त करते हुए पत्र में अंकित पते पर पूर्ण जानकारी प्राप्त करने एवं उनको वाद के संबंध में बताने हेतु भेजा तो ज्ञात हुआ कि चारों अभियुक्तों की वर्षो पूर्व मृत्यु हो गयी है। इसके बाद पारा विधिक स्वयंसेवक को प्राधिकार ने अभियुक्तों के पंचायत के मुखिया से प्रमाण-पत्र तथा मृत्यु से संबंधित कागजात उनके परिवार वालों से प्राप्त करने का निर्देश दिया। इस पर परिवार वालो ने मृत्यु से का मामला काफी पुराना होने के कारण मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने में असमर्थता प्रकट की। तब पारा विधिक स्वयंसेवक ने संबंधित मुखिया से लिखित रूप से प्रमाण-पत्र प्राप्त किया। इसके आधार पर प्राधिकार ने विस्तृत जानकारी संबंधित न्यायालय को दी। प्राधिकार से जानकारी मिलने के बाद संबंधित कोर्ट ने जानकारी के अभाव में 40 वर्षों से लंबित 57 साल पुराने मामले का निष्पादित कर दिया। इस मामले का निष्पादन प्राधिकार के सहयोग एवं प्रयास से संभव हो पाया। प्राधिकार के सचिव अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रणव शंकर ने बताया कि इस मामले के बाद औरंगाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनीश कुमार श्रीवास्तव ने समस्त न्यायिक पदाधिकारियो को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अगर किसी पुराने वाद में ऐसी परिस्थिति हो जिसमें अभियुक्त, साक्षी उपस्थित न हो रहे हो तो, वह न्यायालय जिला विधिक सेवा प्राधिकार से अभियुक्त एवं साक्षी से संबंधित अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराने एवं अद्यतन वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए सम्पर्क स्थापित करते हुए पुराने वादों के निस्तारण की प्रक्रिया को तेज करें।