- केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान में एंगेल्स की दोसौवीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम मनाया गया
पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। सर्वहारा के महान नेता और कार्ल मार्क्स के अनन्य सहयोगी रहे फ़्रेडरिक एंगेल्स की 200 वीं वर्षगांठ पटना के केदार भवन ( जनशक्ति परिसर) में मनायी गई। एंगेल्स का जन्म 1820 में जबकि मृत्यु 1895 में हुई। जबकि केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान द्वारा ‘फ़्रेडरिक एंगेल्स : व्यक्तित्व व कृतित्व ‘ विषय पर बातचीत आयोजित किया गया। इस अवसर पर बंगला कवि ओ ट्रेड यूनियन नेता बिद्युतपाल द्वारा हिंदी में लिखित जीवनी का लोकार्पण भी किया गया। आगत अतिथियों का स्वागत केदारदास के अजय कुमार ने किया।
केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान के महासचिव नवीनचंद्र ने फ़्रेडरिक एंगेल्स के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा ” वैज्ञानिक समाजवाद की रूपरेखा तैयार करने में एंगेल्स की बहुत बड़ी भूमिका थी। सबसे बड़ा योगदान एंगेल्स का ये था कि उन्हींने द्वंद्वात्मक पद्धत्ति के निर्मित करने में जो योगदान दिया वो अप्रतिम है। इसे समाज और प्रकृति पर लागू कर ऐतिहासिक भौतिकवाद की रूपरेखा तय की। मार्क्सवाद का मतलब ही है कि आप सोचने व काम करने के द्वंद्वात्मक तरीके को अपनाएं। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने एंगेल्स के मशहूर किताब ” डायलेक्टिक्स ऑफ नेचर” किताब को फिर आए छापने की बात की थी। एंगेल्स ने जर्मनी के किसान युध्द के बारे जो कुछ लिखा, समझने की कोशिश की वह हमें आज भी एक नई रौशनी देता है।”
माकपा सेंट्रल कमिटी के सदस्य अरुण मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा ” एंगेल्स 1848-50 का जो क्रांतिकारी उभार का दौर है उसमें एंगेल्स व मार्क्स साथ साथ आते हैं। मार्क्स की तमाम उपलब्धियां एंगेल्स के बगैर पूरी न होती। एंगेल्स व मार्क्स के बीच लगातार पत्राचार होता रहता है। हम लोग ये बात नहीं जानते थे कि मार्क्स न्यूयार्क ट्रिब्यून में अंग्रेज़ी में लिखा करते थे वो एंगेल्स द्वारा ही अनुदित हुआ करता था। मार्क्स को पैसों की बहुत किल्लत हुआ करते थे इसको एंगेल्स पूरा किया करते थे। एंगेल्स ने मज़दूरों की स्थिति का अध्ययन किया जो ‘इंग्लैंड में वर्किंग क्लास की स्थित” जैसी बहुमूल्य किताबें लिखीं। बिद्युतपाल ने इस किताब में एंगेल्स, मेरी बर्न्स आदि के आपसी रिश्तों का दिलचस्प वर्णन किया है।”
प्रगतिशील लेखक संघ के बिहार के उप महासचिव अनीश अंकुर ने एंगेल्स के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा ” एंगेल्स ने भौतिकवाद की आधारशिला रखी। हेगेल से उन्होंने आदर्शवाद और फायरबाख के भौतिकवाद से लड़कर द्वंद्वात्मक भौतिकवाद को विकसित किया। एंगेल्स ने इस बात को जोर देकर कहा कि वस्तुजगत ही प्रधान है मनीजगत नहीं। इसके अलावा पूंजी के तीन में से अंतिम दो खंडों को संपादित व व्यस्थित करने का काम एंगेल्स के बगैर सम्भव नहीं था। इन्हीं वजहों से लेनिन कहा करते थे कि दो खण्ड दोनों का संयुक्त उद्यम है। महिला आंदोलन और स्त्री प्रश्न को समझने के लिए एंगेल्स की 1884 में प्रकाशित कृति ‘परिवार, निजी संपत्ति और राज्यसत्ता के उत्पत्ति’ में इस बात को रेखांकित किया कि मदरहुड की ऐतिहासिक पराजय के कारण निजी संपत्ति और पितृसत्ता का अभ्युदय है। परिवार को एक आर्थिक इकाई के रूप में समझना होगा। एक खास कालखंड में परिवार संस्था अस्तित्व में आती है। एकनिष्ठ विवाह के पीछे निजी संपत्ति और राज्यसत्ता रहा है। एंगेल्स की प्रमुख कृतियों को पढ़ना हमारी जिम्मेवारी है।”
सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सिंह ने अपने संबोधन में कहा ” एंगेल्स को इंग्लैंड इस कारण भेज गया था क्रांतिकारी गतिविधियों से दूर हट सकें। लेकिन इंग्लैंड में एक महिला के साथ मिलकर मज़दूरों की स्थिति का अध्ययन किया। उस वक्त इंग्लैंड में चार्टिस्ट आंदोलन चल रहा था। 22 वर्ष की उम्र में लिखी किताब ” इंग्लैंड में श्रमिक वर्गों की स्थिति ” कैसे मशीनों के इस्तेमाल से खराब होता गया। यह एंगेल्स का यह एक तरीक़े से प्रशिक्षण था। मार्क्स को गणित आए जबकि एंगेल्स साइंस से आये। इससे रीजनिंग पैदा होता है। बन्दर से मानव बनने में श्रम की जो भूमिका है इसे एंगेल्स ने रेखांकित किया ।एंगेल्स ने पीरियोडिक टेबल के बारे में, लैबोजियर के बारे में, एंगेल्स ने लिखा। डायलेक्टिक्स ऑफ नेचर में विज्ञान की तमाम उपब्धियों को उन्होंने रेखांकित किया है।
” सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय ने कहा ” एंगेल्स और मार्क्स ने वैचारिक व व्यावहारिक कार्यों में एक साथ होकर काम करते रहे हैं। उससे हमें सीखना होगा। हम जो नर हैं उसे कैसे तार्किक और वैज्ञानिक बनाया जाए ये बड़ी बात है । कया कारण है कि साइंटिफिक टेंपर को बनाने का काम हम नहीं कर पाए हैं। हमारे समाज के डॉक्टर और इंजीनियर भी क्यों नहीं साइंटिफिक ढंग से सोच पाते हैं। साइंस बेसिक प्रक्रिया है। लोकार्पण समारोह को झेत मज़दूर यूनियन में महासचिव जानकी पासवान और एटक के राज्य उपमहासचिव गजनफ़र नवाब ने भी सम्बोधित किया। बातचीत व लोकार्पण समारोह का संचालन संस्कृतिकर्मी जयप्रकाश ने किया। लोकार्पण समारोह में शहर के संस्कृतिकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग मौजूद थे।
प्रमुख लोगों में थे साइंस कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर एस. के गांगुली, शिक्षाविद अनिल कुमार राय, छात्र नेता सुशील कुमार, सीपीआई नेता विश्वजीत, वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश रंजन, गौतम गुलाल, काजल पाल, सर्वनी पाल, फिल्मकार राकेश राज, आनन्द कुमार, अमरनाथ, स्वराज ओरसाद शाही, राजकुमार शाही, हरदेव ठाकुर, कारू प्रसाद, कौशलेंद्र वर्मा, भोला पासवान, राकेश कुमुद, सुशील यमराज, यमराज , पुष्पेंद्र शुक्ला, राहुल राज।