औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में नियम-377 के तहत बात रखते हुए कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र औरंगाबाद में दक्षिण बिहार के दो जिले गया और औरंगाबाद है। देश के सम्यक विकास के लिए ऐसे पिछड़े जिलों को विकसित करने हेतु प्रधानमंत्री की दूरगामी उन्नत सोच के तहत देश भर से 115 जिलों का चयन किया गया, जिसे आकांक्षी जिला का नाम दिया गया है।
सरकारी उपेक्षा के शिकार दोनों जिले नक्सल प्रभावित एवं औद्योगिक शून्यता के अभाव में आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल हैं। विगत एक दशक से कम समय में केन्द्र के अथक सरकारी प्रयासों से इन जिलों ने नए विकास आयाम चूमे है तथापि प्रयासों में निरन्तरता एवं द्रुतगामिता की शिथिलता एवं कई मामले में नियमों की तकनीकी बाध्यता विकास की बेड़ी बनती है, इन्हें दूर किया जाना चाहिए। उदाहरणार्थ एलडब्लयूई के तहत सड़क निर्माण के प्रावधान के साथ ही समपार, छोटे पुल अथवा जल धारा पर छोटी पुलिया के निर्माण की स्वीकृति का अधिकार भी सक्षम पदाधिकारी को होना चाहिए जो स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि की राय से किया जाना चाहिए। इन सरल उपबंधों के अभाव में विकास अवरुद्ध होता है। यद्यपि सभी आकांक्षी जिलों में द्रुतगामी सड़क परिवहन एवं बेहतर संपर्क से अपेक्षाकृत बेहतर विकास हुआ है तथापि बेहतर शैक्षिक विकास के अवसरों के अभाव में आर्थिक विकास अपेक्षित गति नहीं पा रहा है।
उदाहरणार्थ औरंगाबाद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु मैंने राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपनी 20 एकड़ जमीन कॉलेज हेतु देने की पेशकश लिखित रूप से सरकार से की किन्तु सरकारी उदासीनता एवं केन्द्रीय मानदंड इसमें बाधक है। मेरी सरकार से मांग है कि आकांक्षी जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार को प्राथमिकता मिलनी चाहिए तथा ऐसे मामलों में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में सरकारी भागीदारी से शैक्षणिक संस्थानों को अविलंब स्वीकृति मिलनी चाहिए जिससे आकांक्षी जिलों के विस्तार को नया आयाम और समानान्तर आर्थिक विकास संभव हो सके।