पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। बिहार राज्य किसान सभा के बैनर तले रविवार को जनशक्ति भवन में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संसद आयोजित की गयी। संसद की अध्यक्षता प्रो. नवल किशोर चौधरी ने की। किसान संसद का उद्घाटन करते हुए सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि तीनों कृषि कानून कॉरपोरेटपरस्त और किसान–मजदूर विरोधी हैं। इन कानूनों से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमारा जायेगी।
ये कानून संविधान के मूल आत्मा की धज्जियां उड़ाते हैं। संविधान के अनुसार कृषि राज्य का विषय है‚ लेकिन कृषि कानून बनाते समय राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोई सलाह नहीं ली गई और न ही किसान संगठनों से वार्ता की गयी। राज्यसभा में संवैधानिक मापदंड़ों को दरकिनार करते हुए बिल को पारित कराया गया। केंद्र सरकार नीतियों के आधार पर नहीं कुरीतियों के आधार पर चल रही है। यह सरकार किसानों की नहीं‚ उद्योगपतियों और पूंजीपतियों की है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार रात के अंधेरे में ही सभी कार्य करती है। चाहे नोटबंदी हो‚ जीएसटी या कृषि कानून‚ सभी रात में ही लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी लड़़ाई भूख के विरुद्ध भात की है‚ पेट बनाम कॉरपोरेट की है।
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में ७० से ८० किसानों ने शहादत दी है। सरकार को काला कानून वापस लेना होगा और एमएसपी की गारंटी करनी होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बॉर्ड़र पर चल रहे किसान आंदोलन आज तक का सबसे बड़़ा लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन है। पहली बार किसान वर्ग कॉरपोरेट ताकत का सीधा मुकाबला कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से भाजपा–आरएएस की सरकार अंबानी–अड़ानी को देश को लूटने की खुली छूट दे दी है। इनके बड़े बड़े गोदामों में फसलों की जमाखोरी होगी‚ जिससे भीषण महंगाई बढ़ेøगी और देश में खाद्य संकट बढ़ेगा। उन्होंने खेत बचाने‚ फसल बचाने‚ गांव बचाने एवं देश बचाने की लड़ाई तेज करने का आह्वान किया।
कृषि विशेषज्ञ पी साईनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार सामुदायिक कृषि को बर्बाद कर कॉरपोरेट कृषि को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को बेचने के बाद सरकार अब कृषि को बेचने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि षड्यंत्र के तहत कोरोना काल में किसान विरोधी तीनों काला कृषि कानून लागू किया गया। किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि यह आंदोलन तय करेगा कि देश में कंपनी राज रहेगा या किसानों का राज्य।
किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक तीनों काला कानून वापस नहीं लेती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सभी जिला मुख्यालयों में २३ जनवरी को तीनों काला कृषि कानूनों के खिलाफ धरना प्रदर्शन होगा और २६ जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जायेगा। वहीं ३० जनवरी को मानव श्रृंखला बनायी जायेगी।
किसान संसद को प्रो. ड़ीएन दिवाकर‚ डॉ. विद्यार्थी विकास‚ डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह‚ केड़ी सिंह आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर बिहार राज्य किसान सभा के अध्यक्ष व पूर्व विधायक रामचंद्र सिंह यादव‚ रामाधार सिंह‚ मनोज मिश्र‚ राजीव चौधरी‚ प्रभाशंकर सिंह‚ रामचंद्र महतो‚ रविंद्रनाथ राय सहित सैकड़ों किसान नेता मौजूद थे।