औरंगाबाद के तीन पंचायतों में लाखों का डस्टबिन घोटाला उजागर

डीएम के शोकॉज के बाद खरीद के लिए इधर उधर दौड़ रहे मुखिया

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद जिले में डस्टबीन खरीद के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। फिलहाल तीन पंचायतों में यह घोटाला उजागर हुआ है और घोटाले की रकम करीब 33.5 लाख है लेकिन जांच के दायरा अगर आगे बढ़ा तो और पंचायतो में भी ऐसे घोटाले उजागर हो सकते है तथा घोटाले की रकम करोड़ो में हो सकती है। डस्टबीन घोटालें के तार औरंगाबाद प्रखंड के खैरा मिर्जा, फेसर और इब्राहिमपुर पंचायत से जुड़े है।


तीनों पंचायत के मुखिया औरंगाबाद में है पड़ोसी-

जानकार सूत्रों के अनुसार घपलेबाज तीनों मुखिया औरंगाबाद शहर में रहते है। तीनों आपस में पड़ोसी है। तीनों में एक मुखिया महिला है जबकि दो पुरुष। महिला मुखिया के पतिदेव इन दोनो मुखियों के जिगरी है और तीनों एक दूसरे को मुखियागिरि के दांव पेंच में एक दूसरे को सहयोग किया करते है। साथ ही किस योजना को कैसे हैंडल करना है, कैसे करने पर लाभ होगा और कैसे हानि, इसकी जानकारी भी एक दूसरे से शेयर किया करते है।
तीनों पंचायतों में 31 लाख से अधिक का डस्टबीन घोटाला-दरअसल इन तीनो पंचायतों में 15वें वित्त आयोग के मद से 31 लाख 22 हजार 904 रूपये के डस्टबीन की खरीद सभी नियम कानून को ताक पर रखकर की गयी है। इसका खुलासा भी तब हुआ जब डीएम सौरभ जोरवाल ने योजना की समीक्षा की। इस दौरान पाया पाया गया कि फेसर पंचायत में 12 लाख 22 हजार 904 रूपये, इब्राहिमपुर पंचायत में 9 लाख रूपये, तथा खैरा पंचायत में 10 लाख रूपये की डस्टबीन की खरीदगी कागज पर की गयी है। इसे लेकर डीएम ने शोकॉज भी किया है। ऐसे में मामले की जांच में और भी गड़बड़ झाला सामनें आ सकता है।


मीडिया से बच रहे मुखिया-

हद तो यह है कि इस मामलें में तीनों ही पंचायतों के मुखिया मीडिया के सामने आने से कतरा रहे है। इस मामले में दूरभाष पर संपर्क होने पर फेसर पंचायत के मुखिया चंचल कुमारी के पति राकेष कुमार ने कहा कि डस्टबीन खरीदा गया है और वह पंचायत भवन में रखा हुआ है। वही ग्रामीण कुछ और ही कह रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि डस्टबीन की खरीद कागज पर हुई है। पंचायत भवन में ताला लटका है और डीएम द्वारा शोकॉज करने के बाद मुखियापति आनन-फानन में इधर उधर से डस्टबीन खरीदनें में लगे है। वही खैरा पंचायत के ग्रामीणों ने कहा कि स्थानीय मुखिया द्वारा न तो डस्टबीन खरीद की गयी है और न ही पंचायत के किसी भी वार्ड में लोगों को डस्टबीन मिला है। हालांकि इस मामले में मुखिया का पक्ष जानने के प्रयास के दौरान मुखिया ने पंचायत से बाहर रहने का हवाला देते हुए दूरभाष पर बताया कि डस्टबीन की खरीद की गयी है, वह औरंगाबाद में उनके घर पर रखा हुआ है। वाह मुखिया जी दाद देनी पड़ेगी कि खरीद तो आपने पंचायत के लिए की है लेकिन उसे आपने औरंगाबाद वाले घर में रखा है। ऐसे में यहां पर भी मुखिया पर डस्टबीन नही खरीदने का संदेह जताया जा रहा है। जानकार सूत्रों के अनुसार ये भी आनन-फानन में इधर उधर से डस्टबीन खरीदनें में लगे है। ऐसे मुखियों द्वारा खरीद के दावे के बीच यह सवाल उठता है कि डस्टबीन की खरीद की गयी तो वह पंचायत के लोगों तक पहुंची क्यों नही और जब डस्टबीन किसी को देना ही नही था तो खरीदगी क्यों की गयी। यहां साफ तौर पर घपले की बू आ ही रही है। खैर मामले में जांच यदि तह तक पहुंचती है और वाकई जिला प्रशासन द्वारा सख्ती बरती जाएगी तो सारी चीजे दुध का दुध और पानी का पानी की तरह साफ हो जायेगा।