कोरोना काल में देव के कुष्ठ निवारक सूर्यकुंड में अर्ध्य नही दे सकेंगे छठ व्रती

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। किसी कुंड या तालाब में स्नान करने से कुष्ठ और सफेद दाग जैसे रोगों के दूर होने की बात चिकित्सा विज्ञानियों के गले भले ही नहीं उतरने वाली है लेकिन देव स्थित सूर्यकुंड के प्रति लोगों में इस तरह की आस्था अत्यंत ही बलवान है।

http://श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र देव का विश्व प्रसिद्ध त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर

सुप्रसिद्ध  सौर तीर्थ स्थल देव का पवित्र सूर्यकुंड जिसे श्रद्धालुओं द्वारा कुष्ठ निवारक तालाब के रूप में पूरी आस्था के साथ स्वीकार किया जाता है। इसे लेकर कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं जिसमें सूर्य पुराण से सर्वाधिक प्रचारित जनश्रुति के अनुसार राजा ऐल के शरीर का श्वेत दाग प्राचीन समय में इसी तालाब में स्नान करने से दूर हुआ था और उसके बाद उन्हांेंने यहां सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था।

वैसे भी धर्म-अध्यात्म की दुनिया में सूर्य को साक्षात देव माना जाता है जबकि विज्ञान भी सूर्य को उर्जा के स्रोत के रूप में स्वीकार करता है। ऐसे में सूर्य नगरी स्थित इस कुंड मंे स्नान करने से कुष्ठ निवारण की बात आम जनमानस में यदि प्रचलित है तो निःसंदेह यह आस्था का सवाल है और आस्था के आगे कोई तर्क-वितर्क नहीं चलता है। हालांकि विज्ञान के किसी तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग के ठीक नहीं होने के अकाट्य तर्कों के बीच श्रद्धालुओं की आस्था बलवान है और इसी आस्था के दर्शन हर साल यहां कार्तिक एवं चैती छठ पर्व के दौरान नजर आता है। वैसे कोरोना काल में यहां सूर्यकुंड में शासन-प्रशासन के स्तर से अध्र्य देने की मनाही है।