औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने मंगलवार को ओबरा थाना कांड संख्या 317/19 में सज़ा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए लड़के का जन्म नही देने के आरोप में पत्नी की हत्या करने वाले पति को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल ने बताया कि अदालत ने भादंसं की धारा 302 में आजीवन कारावास और पचास हजार जुर्माना तथा धारा 201 में तीन साल की सजा और बीस हजार जुर्माना लगाया है। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि 06 जुलाई 2022 को काराधीन अभियुक्त ओबरा थाना क्षेत्र के तुतुरखी निवासी चंदन सिंह को दोषी करार दिया था। साथ ही अन्य दो अभियुक्तों ससुर और सास को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था। मामले में वाद के सूचक पटना जिले के मसौढ़ी निवासी जैनेन्द्र सिंह ने प्राथमिकी और गवाही में कहा था कि मेरी पुत्री को अभियुक्तगण मिलकर बेइज्जती करते थे। मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करते थे। इसकी जानकारी फोन से हमें पुत्री ने कई बार दिया था। वह कहती थी कि दो पुत्रियां होने से मेरी ज़िन्दगी नरक हो गई है। पुत्र न होने से सभी ताना मारा करते थे।
29 दिसम्बर 2019 को मेरी पुत्री के ससुराल के गांव वालों ने फोन पर बताया कि आपकी पुत्री की किरासन तेल से आग लगाकर हत्या कर दी गई है। जब मैं अपने भाई के साथ पुत्री के ससुराल पहुंचा तो देखा कि मेरी पुत्री की लाश को गांव के शमशान में जला दिया गया है। मैं पुलिस लेकर शमशान पहुंचा। पुलिस ने लाश के एक अंश को लेकर जब्ती सूचि बनाई। मैं अपनी दोनों नतिनी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अपने घर ले आया और आजतक दोनो मेरे देखरेख में है। मामले में सरकार की ओर से लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता बसंत कुमार ने बहस में भाग लिया और अपना-अपना पक्ष रखा, जिसे सुनने के बाद न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।