औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने मंगलवार को सदर प्रखंड के कर्मा भगवान पंचायत के आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या- 203, विशनुपुर पकहा के निरीक्षण के दौरान केंद्र पर 6 माह के बच्चें को खीर खिलाकर अन्नप्रासन कराया।
इस दौरान जिलाधिकारी ने आंगनबाड़ी केंद्र पर उपस्थित बच्चों से बातचीत की। स्कूल पूर्व शिक्षा यथा बालगीत, बाला पेंटिंग की समझ एवं अंग्रेजी वर्णमाला का अवलोकन किया। जिलाधिकारी ने इस केंद्र पर उपलब्ध वजन मापने एवं लंबाई मापने की मशीन का भी निरीक्षण किया। इसके अलावा केंद्र पर उपलब्ध अकार्यरत चापाकल की मरम्मत कराने का निर्देश कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल को दिया। इसके बाद लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग द्वारा चापाकल के मरम्मत करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केंद्र पर विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इस कड़ी में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत प्रथम दो जीवित संतान में से कन्या शिशु को इस योजना के लिए पंजीकृत किया जाता है, जिसमें जन्म के उपरांत जन्म प्रमाण पत्र एवं प्रथम चक्र का टीकाकरण होने वाले शिशु को 2000 एवं 1 वर्ष पूरे होने एवं आधार पंजीकरण करा लेने के पश्चात 1000 की राशि संबंधित के खाते में डीबीटी के माध्यम से दी जाती है।
वही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत प्रथम गर्भवती एवं धात्री महिला को उसके पोषण एवं स्वास्थ्य के सुधार के लिए तीन किस्तों में 5000 की राशि उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से दी जाती है। वृद्धि निगरानी दिवस पर हर महीने के 14 तारीख को वृद्धि निगरानी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें बच्चों के लंबाई एवं वजन को लेकर आवश्यक सलाह दिया जाता है। हर महीने के 19 तारीख को अन्नप्राशन के रूप में मनाया जाता है जिसमें 6 माह पूर्ण कर लिए गए बच्चों को मुंह जूठी करवा कर मनाया जाता है। हर माह के 7 तारीख को गोद भराई रूप में मनाया जाता है जिसमें गर्भवती महिला को काउंसिलिंग कर गर्भावस्था के खानपान एवं आवश्यक अन्य सलाह दिया जाता है।वही हर महीने के बुधवार एवं शुक्रवार को टीकाकरण का आयोजन माइक्रो प्लान के अनुसार एएनएम के सहयोग से किया जाता है। पूरक पोषाहार 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे एवं गर्भवती तथा धात्री महिला जो पंजीकृत होते हैं तथा स्कूल पूर्व शिक्षा के 3 से 6 साल के बच्चे को इसका लाभ दिया जाता है। स्कूल पूर्व शिक्षा के रूप में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा दिया जाता है। परवरिश योजना के तहत पोषक क्षेत्र में अनाथ बच्चे, कुष्ठ ग्रसित माता-पिता के बच्चे एवं एड्स से ग्रसित माता-पिता के बच्चे को 18 वर्ष की उम्र तक लाभ दिया जाता है।