औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। संभावित सुखाड़ और मौसम की स्थिति को लेकर जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने जिला कृषि पदाधिकारी एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ आकस्मिक फसल योजना के संबंध में कार्ययोजना हेतु शनिवार को बैठक की।
इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस में स्थापित मौसम यूनिट से प्राप्त तथ्यों पर विस्तृत चर्चा की। कहा कि सभी सेंसर के डाटा से जानकारी प्राप्त हो रही है कि अगले 4-5 दिन भी कम बारिश की संभावना है। ऐसे में आवश्यक है कि आकस्मिक फसल योजना बना ली जाय। यदि यही स्थिति 15 अगस्त तक रहती है तो धान के स्थान पर अन्य फसल के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जायेंगे और वैकल्पिक फसलों के माध्यम से खेती की जाएगी। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार की आवश्यकता होगी। बैठक में कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चैबे ने भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान डेटा के बारे में जानकारी दी कि किस तरह से मौसम पूर्वनुमान डेटा भारत मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाईट से प्राप्त हो रहा है जिसमे वर्षा, अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान, अधिकतम एवं न्यूनतम आद्रता, हवा की गति, हवा की दिशा एवं बादल छाए रहने की अवस्था आदि के बारे में जानकारी मिल रही है। साथ ही ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन द्वारा वर्षा, अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान, अधिकतम एवं न्यूनतम आद्रता, हवा की गति, हवा की दिशा, मृदा में उपस्थित नमी, मृदा का तापमान आदि 15 -15 मिनट के अंतराल पर दर्ज हो रहा है तथा इसे वेबसाईट के माध्यम से भी देखा जा रहा है। अगले 5 दिन में वर्षा 10 एमएम से कम रहने की संभावना है किंतु बदल छाए रहेंगे जिसके मृदा में नमी बनी रहेगी। अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा तथा न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। हालांकि झारखंड में कुछ बारिश की संभावना है जिससे से नहर में पानी मिलता रहेगा। इसके अतिरिक्त आद्रता 70 प्रतिशत से अधिक रहेगी तथा हवाएं भी बंगाल को खाड़ी को ओर से ही चलेगी जिससे स्थिति में सुधार की संभावना है। अगले 15 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण रहेंगे। अगले पांच दिन के मौसम पूर्वानुमान के निष्कर्ष के अनुसार हल्की बारिश की संभावना है लेकिन इस बारिश से धान की रोपाई कर पाना कठिन है।
जिलाधिकारी ने कहा कि जून एवं जुलाई माह में कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए आने वाले दिनों में धान की फसल की रोपाई पर पड़ने वाले प्रभाव की तत्काल गहन समीक्षा कर ली जाय। साथ ही अगले 10 से 15 दिन में बारिश कम या नही होने पर जिला कृषि पदाधिकारी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से वैकल्पिक फसल की योजना भी पूर्ण कर लें। किसानों को कौन सी फसल एवं प्रजाति का चयन करना हैै। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, रात्रि चैपाल आदि का निर्धारण कर लें ताकि कम समय एवं कम वर्षा में भी उत्पादन किया जा सके और आर्थिक हानि को कम से कम किया जा सके। समीक्षा बैठक में केन्द्र के कृषि मौसम वैज्ञानिक अनूप चैबे, रविरंजन कुमार, कृशले प्रभाकर, दीपक कुमार और जिला कृषि कार्यालय से जिला कृषि पदाधिकारी के अतिरिक्त कर्मी मोहन कुमार एवं अभिनव कुमार आदि उपस्थित थे।