औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो )। औरंगाबाद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर ने बुधवार को मंडल कारा का औचक निरीक्षण किया।
इस दौरान कारा में प्रतिनियुक्त जेल भ्रमण अधिवक्ता गजेंद्र कुमार पाठक, निवेदिता कुमारी एवं जेल अधीक्षक सुजीत कुमार झा भी साथ रहे। एडीजे ने जेल के प्रत्येक वार्ड का निरीक्षण किया तथा बंदियों के संबंध में जानकारी ली। उन्होने कैदियों को कारा में उत्पन्न हो रही समस्याओं से अवगत होने के बाद बंदियों के समक्ष ही तत्काल निदान करने का निर्देश जेल अधीक्षक को दिया। निरीक्षण के दौरान वैसे कैदी जो प्रथमदृष्टया देखने में 18 वर्ष से कम उम्र के लगे, उनको लेकर सचिव ने तत्काल कारा अधीक्षक को निर्देश दिया कि इनकी सूची बनाकर संबंधित न्यायालयों में आयु के सत्यापन हेतु प्रेषित करें ताकि विधि के अनुसार उनके मामलों में कार्रवाई हो सके। कहा कि ऐसे कैदियों की सूची तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय को तथा जेल में प्रतिनियुक्त जेल भ्रमण अधिवक्ता को भी आवश्यक रूप से देना सुनिश्चित करे। सचिव ने साथ रहे दोनों जेल भ्रमण पैनल अधिवक्ताओं को निर्देश दिया कि किसी भी परिस्थिति में प्रथमदृष्टया 18 साल से कम उम्र के प्रतीत हो रहे बंदियों की जांच अपने स्तर से जेल भ्रमण के दौरान आवश्यक रूप से प्रत्येक भ्रमण के दिन करें अन्यथा प्रथमदृष्टया 18 वर्ष से कम उम्र का बंदी निरीक्षण में पाया जाता है, तो इसकी जिम्मेवारी उनपर होगी।
जांच के बाद सचिव ने जेल में स्थापित लिगल एड क्लिनिक में प्रतिनियुक्त कैदी पारा विधिक स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण एवं उनके कार्यो का मूल्यांकन के दौरान उनके द्वारा पूर्व में बनाये गये पंजी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सचिव ने जेल की साफ-सफाई हेतु आवश्यक निर्देश भी दिया। साथ ही सभी कैदियों से उनके अधिवक्ता के बारे में जानकारी प्राप्त की। कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा विधिक सहायता की आवश्यकता रखनेवालो के लिए मुफ्त पैनल अधिवक्ता की सेवा मुहैया करायी जाती है। निरीक्षण में कुछ ऐसे कैदी भी मिलें जिन्हें विधिक सहायता के तहत पैनल अधिवक्ता की सेवा चाहिए, उन्हें सचिव द्वारा पैनल अधिवक्ता की सेवा तत्काल देने की बात कही तथा तत्काल कारा में स्थापित लिगल एड क्लिनक में अधिवक्ता उपलब्ध कराने हेतु अग्रेत्तर कार्रवाई का निर्देश दिया। सचिव ने यह भी निर्देश दिया कि जो भी नये कैदी जेल में आते हैं, तो बंदी के दौरान उनके अधिकार एवं कर्तव्य के बारे में बताएं। साथ ही अगर उन्हें विधिक सहायता की आवश्यकता है, तो किस प्रकार उन्हें विधिक सहायता मिल सकती है, के बारे में भी बतायें। उन्होने मंडल कारा में कैदी वार्ड सहित अन्य जगहों पर निरंतर सफाई कराते रहने के लिए जेल अधीक्षक को निर्देशित किया। सचिव ने सभी कैदियों के बीच एक प्रेरक बात कहा कि कैदी जिस धर्म से रूचि रखते हैं, उन्हें अपने-अपने धार्मिक किताबों का अध्ययन करना चाहिए। इससे उनका ज्ञानवर्द्धन होगा। साथ ही जेल में भी सभी के बीच अच्छे तथा स्वस्थ्य वातावरण का निर्माण संभव हो, इसके लिए सचिव ने कारा प्रशासन एवं जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे समय-समय पर कारा में शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन करें। साथ ही कारा में बंदियों के स्वास्थ्य बेहतर रहे, इसके लिए प्रतिदिन योगाभ्यास करने के लिए प्रेरित करें। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि जेल में क्षमता से कई गुणा कैदियों की संख्या है, जो कैदियों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। इस मामलें में जेल अधीक्षक ने सचिव को बताया कि जल्द ही नये कारा का निर्माण पूर्ण होनेवाला है और निर्माण के बाद इस समस्या का पूर्ण समाधान हो जाएगा।