पटना (लाइव इंडिया न्यूज़ )बिहार चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन का दौर भी शुरू हो गया है, फिर भी अबतक प्रदेश की प्रमुख गठबंधन में सीटों पर जिच जारी है। अबतक महागठबंधन में सीटों पर तकरार की खबरें आ रही थीं, अब प्रदेश की सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए में सीटों पर फैसला नहीं हो पा रहा है। खबर मिल रही है कि गुरुवार को सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के प्रमुख नेताओं की बैठक हुई। बैठक में तल्खी इस कदर बढ़ गई कि भाजपा-जदयू अलग-अलग चुनाव लड़ने की बात करने लगे। लोक जनशक्ति पार्टी पहले से अलग होकर चुनाव लड़ने का राग अलाप रही है।
*देवेंद्र फडणवीस, भूपेंद्र और संजय जायसवाल पहुंचे थे अणे मार्ग*
सूत्रों के अनुसार गुरुवार को भाजपा के तीन वरिष्ठ नेता बिहार विधानसभा के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जदयू के आलाकमान से मिलने मुख्यमंत्री आवास अणे मार्ग गए। वहां जदयू के राज्यसभा सांसद और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले आरसीपी सिंह और लोकसभा सांसद ललन सिंह के साथ बैठक शुरू हुई। बैठक में दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे पर और प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दोनों दलों के नेताओं के बीच सीट बंटवारे को लेकर तल्खी हो गई और दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यहां तक कह दिया कि दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ सकते हैं।
*अलग चुनाव लड़ने पर सबको होगा घाटा*
भाजपा-जदयू की इस बैठक में जदयू 2010 के फार्मूले पर सीट शेयरिंग की मांग कर रही थी, जिसे भाजपा नेताओं ने सिरे से खारिज कर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों की अगर मानें तो अगर भाजपा-जदयू की राहें अगर अलग होती हैं तो इससे दोनों ही पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू-राजद के साथ और भाजपा अकेले चुनाव लड़ी थी। इसमें भले राजद के साथ मिलकर नीतीश कुमार दुबारा सत्तासीन हो गए थे, लेकिन उनकी सीट कम थी। जदयू ने प्रदेश की 101 सीटों पर कांटेस्ट फाइट किया तो उसे 71 सीटें मिलीं, वहीं दूसरी भाजपा को महज 56 सीटों पर संतोष करना पड़ा। उस वक़्त राजद को सबसे अधिक 81 विधानसभा की सीटें मिली थीं, लेकिन वो आज विपक्ष में है।
*कई सीटों पर फंस रहा पेच*
भाजपा-जदयू की इस बैठक में सीटों के बंटवारा के अलावा कई सीटों पर रार हो गया। सूत्रों के अनुसार जनता दल यूनाइटेड भाजपा की कई परम्पागत सीटों की मांग कर रही है। जिसे भारतीय जनता पार्टी के नेता मानने को तैयार नहीं हैं। 2015 में पटना जिले के पालीगंज विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी जयवर्धन यादव विधानसभा पहुंचे थे। 2015 से पहले तक ये सीट भाजपा की परंपरागत सीट थी। इस बार नीतीश ने जयवर्धन को राजद से तोड़कर जदयू में शामिल कर लिया। अब नीतीश चाहते हैं कि भाजपा अपनी वह सीट जदयू को दे दे। जिसे भाजपा सिरे से नकार रही हैं। वहीं दूसरी सीट सासाराम की है। जहां से भाजपा प्रत्याशी 5 बार से चुनाव जीत रहे थे। पिछली बार राजद के अशोक यादव ने बीजेपी उम्मीदवार को पटखनी दे दी थी। जदयू अशोक को भी राजद से तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया और भाजपा से वह सीट भी देने की मांग कर रहे हैं। भाजपा से एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि जदयू भाजपा की एक दर्जन परंपरागत सीटों पर नजरें गड़ाए बैठी है, जिसे भाजपा नेता नहीं मान रहे हैं। इसलिए दोनों पार्टियों में रार बढ़ रहा है और ये रार सीट बंटवारे में तकरार करा रहा है।