औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। शारदीय नवरात्र के छठे दिन सोमवार को श्रद्धालुओं और भक्तों ने मां दुर्गा के छठे रुप मां कात्यायनी की आराधना की। इस दौरान श्रद्धा, भक्ति और आस्था की लहरें भक्ति रस के समंदर में उमड़ती नजर आई।
मंदिरों में पूजा की थाल लेकर श्रद्धालुओं ने मां का दर्शन-पूजन किया। नवरात्र में घर से लेकर मंदिरों तक माता के जयकारें की गूंज सुनाई दे रही है। श्रद्धालु माता के दर्शन कर मंगल कामना कर रहे हैं। शक्ति की आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्र में लागे शक्ति की उपासना में डूबे हुए है। इस बार नवरात्र के आठ दिनों तक ही मां भगवती की आराधना हो रही है। इस बार नवरात्रि में बन रहे विशेष योग मां भगवती की आराधना करने वाले भक्तों को विशेष फल देने वाले है। मां कात्यायनी के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि कत नामक प्रसिद्ध महर्षि के कुल में ऋषि कात्यायन भगवती मां के सबसे बड़े उपासक थे। उन्होंने मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए कई वर्षों तक घोर तपस्या की।
मां भगवती उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके समक्ष आई तो उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए मां भगवती को अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने को कहा। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और उनके यहां एक पुत्री के रूप में जन्म लिया। कात्यायन ऋषि के घर पर जन्म लेने के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। इसी कारण देवी का यह स्वरूप कात्यायनी कहलाया। ज्योतिषियों का मानना है कि देवी कात्यायनी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। विवाह का योग जल्दी बनता है। मां कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही दिव्य और सिंह की सवारी और चार भुजाओं वाली हैं। इनके बाएं हाथ में कमल और तलवार और दाएं हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा में है।