भाकपा माओवादी ने संदीप यादव के निधन पर जताया शोक, कहा-हम नही बचा पाये अपने श्रद्धेय व प्रिय नेता की जान

भारतीय क्रांति, पार्टी, शोषित उत्पीड़ित जन-समुदाय के लिए दुर्भाग्यपूर्ण    

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने संगठन की बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमिटी के सदस्य कमांडर संदीप यादव के निधन पर गहरा शोक जताया है।

संगठन के प्रवक्ता गोपाल ने माओवादी नेता की ग्यारहवीं पर रविवार की शाम प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शोक जताते हुए कहा कि हमें दुःख है कि हम अपने प्रिय व श्रद्धेय नेता की जान नही बचा सके। हमारे नेता का निधन अंततोगत्वा भारतीय क्रांति, हमारी पार्टी, शोषित उत्पीड़ित जन-समुदाय के दुर्भाग्यपूर्ण है। कहा कि 24 मई के उस काले दिन संध्या 4ः20 बजे अपार पीड़ा से कराहते हमारे श्रद्धेय व प्रिय नेता विजय यादव उर्फ संदीप उर्फ रुपेश ने अपनी अंतिम सांस ली और सदा-सदा के लिए इस दुनिया से अलविदा हो गये। कहा कि 2018 में शारीरिक रुप से कमजोर पाकर डायबिटीज जैसे खतरनाक बीमारी ने जन्हें अपना शिकार बनाया और कमजोर करना शुरु कर दिया। फिलहाल 1 मई को पहले उन्हे डिसेंट्री ने परेशान किया। उन्होने अपने जन चिकित्सक से इलाज करवाया। स्लाईन करवाया। इसकेबाद से दोनो पैर में अचानक दर्द और झिनझिनी बढ़ने की शिकायत होने लगी। इसके बाद बाहर से कईडॉक्टर बुलाये गये, कुछ जांच आदि भी करवाये गये। ईलाज चलता रहा लेकिन सही निदान तक डॉक्टर नहीं पहुंच सके। उनकी बीमारी बढ़ती गयी।

कामरेडों ने उनकी सेवा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। रात-दिन जागकर सेवा करते रहे। किसी डाक्टर नेकभी बीपी बढ़ी हुई  अवस्था में स्लाईन चढ़ाने के कारण जहां-तहां पानी के जमा होने को दर्द  का कारण बताया तो किसी ने डिहाइड्रेसन, तो किसी ने एविल का रिएक्शन बताया। लेकिन इलाज चलता रहा, रोग बढ़ता रहा। कभी भोजन न पचना, कभी शौच बंद हो जाना, कभी ज्यादा मात्रा में शौच हो जाना, भिन्न-भिन्न तरह के लक्षण सामने आते रहे। अंततः डॉक्टर ने 2 दिन का दवा खिलाकर रिपोर्ट देने को कहा और अच्छा नहीं रहने पर सिटी स्केन और एमआरआई कराने का सुझाव दिया। लेकिन अंततः 24 मई 2022 को वह दिन आ गया, जब वे अपने जिंदगी की अंतिम जंग हार गये और हमने एक कुशल नेता व कमांडर खो दिया। जिस व्यक्ति ने हम जैसे असंख्य लोगो की कुशल चिकित्सको से इलाज करवाकर जीवन बचाया, आज हम उनकी जान बचाने में बिल्कूल ही असमर्थ रह गये।यह उस सरकार और व्यवस्था के लिए अवश्य एक सफल और खुशी का दिन होगा, जो क्रांतिकारियों और उत्पीड़ित जनता को खून की दरिया में डुबों देने के लिए जंगली क्षेत्रों में निरंतर बमों की बारिस कर रहे है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा पालित कथित सुरक्षा बलोंद्वारा जनवरी से अबतक 20 बार गोले बरसाये जा चुके है। मोदी सरकार का एक ही लक्ष्य है- भारत से क्रांतिकारियोंको मिटा देना और क्रांतिकारियों का एक ही लक्ष्य है नव जनवादी क्रांति और समाजवादी क्रांति को सम्पन्न करना। ऐसी परिस्थिति में हम तमाम क्रांतिकारी व जनवादी शक्तियों और शोषित उत्पीड़ित जनसमुदाय से अपील करते है कि का. रुपेश के अधूरे सपने और अधूरे कार्यभार को पूरा करने के लिए आगे आए। हमलोगों ने तय करके अपने कामरेड़ के मृत शरीर को उनके परिवार और जन समुदाय को सौपने का निर्णय लिया, क्योकि वे इस क्षेत्र के ही निवासी थे और जनता के बीच काफी लोकप्रिय एक जन नेता और पार्टी नेता भी। यह सोंचकर कि जनता अपने नेता का अंतिम दर्शन कर सके और उनकी अंत्येष्टि मे भाग ले सके। इसके बावजूद पुलिस-प्रशासन द्वारा उनके घर से मृत शरीर को जबरन कब्जें में लेकर यह कुप्रचार किया गया कि संदिग्ध अवस्था में मृत विजय यादव का लाश पुलिस ने जंगल से प्राप्त किया। उसके पास से एक पिस्तौल और कई आपत्तिजनक सामान मिले है, जो बिल्कुल झुठ है।