औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। भाकपा माले के संस्थापक महासचिव चारु मजुमदार का 49वां शहादत दिवस बुधवार को पार्टी के जिला कार्यालय में मनाया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व पार्टी के जिला सचिव मुनारिक राम ने किया।
इस मौके पर जिला सचिव ने कहा कि चारु मजुमदार का आखिरी शब्द था-जनता के हितों को सर्वोपरि रखो और पार्टी को हर हाल में जिंदा रखो। उन्होंने कहा कि आज उस 70 के तूफानी दशक के करीब 50 साल पूरे होने वाले हैं जिसका अंत 1975 में आपातकाल लगाने से हुआ था। आज एक बार फिर देश आपातकाल के दौर वाले दमनकारी चेहरे के साथ फिर से हाजिर है। यह उत्पीड़न और क्रूरता के मामले में अंग्रेजों के शासन को भी मात दे रहा है। खुलेआम इतना दमन हो रहा है कि अदालतों को भी बार बार आगाह करना पड़ रहा है कि मोदी सरकार का अंधाधुंध दमन सवैधानिक लोकतंत्र के ढ़ाचे के खिलाफ है। दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकतंत्र में असहमति और विरोध के अधिकार के महत्व को रेखांकित किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आजादी के सात दशक बाद भी उसे गुलामी के समय के राजद्रोह कानून की जरूरत क्यों है? राजनीतिक कैदियों की रिहाई, अंग्रेजों के समय के राजद्रोह कानून और आजादी के बाद के यूएपीए जैसे खूंखार कानूनों को रद्द करने की मांग एक बार फिर विमर्श का हिस्सा बन गया है। विनाशकारी कृषि कानूनों को रद्द करने, नए श्रम कानूनों को रद्द करने और श्रम अधिकारों की गारंटी करने, निजीकरण और महंगाई पर रोक लगाने, मजदूरी बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने, कोविड से हुई मौतों का मुवावजा देने, सबके लिए शिक्षा व स्वास्थ्य की गारंटी करने की मांगे इस समय की लोकतांत्रिक मांगे हैं। कार्यक्रम में औरंगाबाद प्रखंड प्रभारी सुनील यादव, जिला कमिटी सदस्य व कार्यालय सचिव नारायण राम, कैलाश पासवान, गुड्ड़ु च।द्रवंशी, नारायण च।द्रवंशी, शंकरदयाल यादव, करमु पासवान, कृष्ण पासवान, विजय प्रसाद, सुदर्शन मेहता, परभ्खा राम, सोनिया देवी, तेतरी देवी, राजाराम मेहता एवं त्रिभुवन राम आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।