पटना (लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान ने अप्रैल–मई में होने वाले पंचायत चुनाव दलीय आधार पर कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव ईवीएम के बजाए पहले की तरह मतपत्र से ही कराया जाये। मौजूदा बिहार सरकार राजनीतिक संकट में फंसी हुई है‚ जिसके चलते विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। इस स्थिति से शीघ्र निकलने की राज्य सरकार कोशिश करे।
तीनों कृषि कानूनों ने दिखाफ दिल्ली बॉर्ड़र पर चल रहा आंदोलन कानून वापसी के बाद ही समाप्त होगा। किसान आंदोलन के समर्थन में और तीनों कृषि कानून वापस करने की मांग को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत पर बिहार में मानव श्रृंखला बनायी जायेगी॥। श्री अंजान सोमवार को पार्टी राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर करीब दो महीने से जारी किसान आंदोलन सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं बल्कि देश में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के साथ–साथ आम आदमी के जीने के अधिकार की लड़ाई बन गया है‚ जिसमें एक तरफ संपूर्ण ग्रामीण जन गण के साथ–साथ लोकतंत्र व संविधान की रक्षा करने वाली शक्तियां हैं तो दूसरी तरफ कॉरपोरेट घराने के साथ–साथ भाजपा–आरएसएस की सत्ता है।
एक तरफ किसान आंदोलन मोदी सरकार की दमनात्मक कार्रवाइयों और लगातार विफल की जा रही वार्ता का सामना करते हुए परवान चढÃ रहा है व अधिकाधिक व्यापक होता चला जा रहा है तो दूसरी तरफ केन्द्र सरकार सरकारी तंत्र द्वारा तीनों काले कृषि कानूनों की बाबत झूठे व भ्रामक प्रचार का सहारा लेकर उसमें फूट डालने की कोशिशों का अंतहीन सिलसिला जारी है। किसान शहादत दे रहे हैं और सरकार उनका दमन करने के लिए तरह–तरह के हथकंडे अपना रही है और एनआईए जैसी एजेंसियों का सहारा लेने पर उतर आई है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट का भी उपयोग करने से सरकार को कोई गुरेज नहीं है जो संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हैं।
इन सभी स्थितियों का सामना करते हुए २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर संघर्षशील किसान ट्रैक्टर–ट्रॉली लेकर दिल्ली में प्रवेश करेंगे और आउटर रिंग रोड पर पचास किलोमीटर तक किसान परेड कर भारतीय गणतंत्र को नया आयाम देंगे। उस दिन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर देश भर में वैसी ही रैलियां और मार्च आयोजित किये जायेंगे। गणतंत्र दिवस पर यह एक अभूतपूर्व नजारा होगा जो जीने के अधिकार के साथ–साथ भारत के संविधान व लोकतंत्र की हिफाजत के संघर्ष को नई उचाइयों पर ले जायेगा।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि बिहार किसान आंदोलन की उर्वर भूमि रही है जहां सर्वप्रथम गांधी जी ने निलहों के खिलाफ ऐतिहासिक सत्याग्रह आंदोलन चलाया और स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा के माध्यम से जमींदारी विरोधी किसान संघर्ष की बुनियाद रखी। उन्होंने बिहार के लोगों का आह्वान किया कि वे मौजूदा किसान संघर्ष में अपनी ऐतिहासिक विरासत के अनुरूप आगे बढ़चढ़कर भूमिका निभाने के लिए एकजुट हो आगे आयें।
उन्होंने 30 जनवरी को गांधी जी के शहादत दिवस के अवसर पर महागठबंधन के दलों की और से किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए आयोजित की जाने वाली मानव श्रृखंला को स्वागतयोग्य कदम बताया और उसे सफल बनाने के लिए समस्त बिहारवासियों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तीनों किसान–विरोधी काले कानूनों की वापसी‚ न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और उसे कानूनी से बाध्यकारी बनाने‚ स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिशों को पूर्णतः लागू कराने‚ किसानों के सभी सरकारी व सहकारी कर्ज की माफी और बिहार में एपीएमसी (कृषि उत्पादन बाजार समितियों) की पुनस्र्थापना की मांग को लेकर आयोजित है। संवाददाता सम्मेलन में भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांड़ेय‚ राज्य सचिव मंड़ल सदस्य ओमप्रकाश नारायण और रामबाबू कुमार भी मौजूद थे।