- गांवों में तेजी से फेल रहा कोरोना संक्रमण
- परदेशियों के लौटने के बाद बढ़ी महामारी, खांसने की आवाज भी डरा रही गांव को
मधुबनी(गोपाल कुमार)। कोरोना काल में ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों का बूरा हाल है। कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं सुविधाएं नहीं तो कहीं स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंशु बहा रहा है। कोरोना में स्वास्थ्य केंद्रों का हाल जानने निकले Liveindianews18 के संवाददाता। जानिए खुटौना प्रखंड के अस्पतालों का हाल।
खुटौना प्रखंड में कोरोना शहर से गांव में पैर पसार चुका है। स्थिति का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि कुल संक्रमण के 94 फीसदी मरीज गांव से है। माहामारी आफत ढ़ाह रही है। इस आंकड़े के बाद भी गांव के लोगों के जांच के दायरे कम ही हैं। जो जागरूक है। वह प्रखंड मुख्यालय या जांच सेंटर पर लंबी दूरी तय कर जांच तो करा रहे है। पर गांव में जांच नहीं होने से लोगो की बीमारी का पता नहीं चल रहा है। सर्दी, खासी व बुखार से लोग तड़प रहे हैं। मर रहे है। पर लोगों को यह पता नहीं चल रहा की वह कोरोना से मरे या फिर अन्य बीमारी से।
इलाज के लिए आज भी गांव के लोग मजबूर है। बीमारी होने के बाद भी जब तक गांव में शादी, विवाह, भोज के आयोजन हो रहे है। अब भी स्वास्थ्य महकमा जांच व इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में कोई ठोस नीति तक नही बन सका है। गांव में पीएचसी या सीएचसी की स्थिति आज भी किसी से छिपी नहीं है।
खुटौना प्रखंड में स्थानीय पीएचसी के अलावा 3 एडिशनल पीएचसी समेत 16 उपस्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना जांच की सुविधा नहीं है। गांव के लोग डरे – सहमे बैठे हैं। किसी पीएचसी में मेवेसियों के चारे रखे गए हैं तो किसी में उपला ढोका जाता है। सबसे बुरा हाल तो प्रसाही पूर्वी पंचायत के जटही केंद्र का है। जहां गांव के कुछ दबंग व्यक्ति ने भूसा – भर कर घेर रखा है।
ग्रामीणों के अनुसार यहां जांच की व्यवस्था मात्र पीएचसी में होने के कारण दूर से लोग जांच कराने नही पहुंच रहे है। ग्रामीणों के अनुसार सभी केंद्रों पर एएनएम समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिनका दर्शन ग्रामीणों को दुर्लभ हो गया है। पीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विजय मोहन केशरी ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र के माधोपुर, नहरी, कलरीपार्टी, जटही, तथा हनुमाननगर में शिविर लगाकर जांच की गई है। लेकिन खुसियाल पट्टी में लोग जांच नहीं करवाना चाहते।