गोह(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। गोह पीएचसी की स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है। 20 साल पहले भी अस्पताल में मरीज एक बेड व अदद साफ बेडशीट के लिए जूझते थे और स्थिति आज भी यही है। यह हाल तब उजागर हुआ जब पिपराही गांव निवासी ललेंद्र साव अपनी 14 वर्षीया बेटी सावित्री को लेकर इलाज कराने आये। आपबीती बताते हुए वे फफक कर रो पड़े। कहा कि साहब हम गरीबो को बेड कहां नसीब होता है? यहां तो सिर्फ बड़े लोगो को ही बेड मिलता है।
दरअसल सावित्री को डायरिया हो गया था। गांव की दवाइयां देकर किसी तरह रात तो गुजर गई, लेकिन सुबह उठकर अपनी पत्नी के साथ बेटी को लेकर ललेंद्र गोह पीएचसी सुबह 6 बजे ही पहुंचे। वहां चिकित्सकों ने पहले बेड नहीं होने की बात कहते हुए फर्श पर ही बैठने को कहा। बेचारा ललेंद्र करता तो क्या करता। अपनी बेटी की जान बचाने को लेकर उसने अपनी पुत्री को फर्श पर ही लिटा दिया।
चिकित्सक आए और फर्श पर ही स्लाईन चढ़ाई व इलाज करने लगे। जब उनसे बेड की बात पूछी गई तो उन्होंने बेड नही होने की बात कही। जबकि अस्पताल में कई बेड खाली पड़े थे। सुबह 6 बजे से शाम तक फर्श पर ही लिटा कर इलाज किया गया।
अब सवाल उठता है कि आखिर खाली पड़े बेड किनके लिए खाली रखा गया है? स्वास्थ्य विभाग के लचर रवैये से मरीजों तक वे सुविधाएं पहुंच ही नहीं रही हैं जिनके वे हकदार हैं। इस सबंध में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मनीष कुमार ने कहा कि ड्यूटी में रहे स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही के वजह से मरीज का फर्श पर ही इलाज किया गया है। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।