परियोजना से बिहार को मिलेगी 1683 मेगावाट बिजली : CEO
औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम(एनटीपीसी लि.) के पूर्ण स्वामित्व वाली नबीनगर पावर जेनरेटिंग कंपनी लि.(एनपीजीसीएल) की औरंगाबाद जिले के नबीनगर के शिवनपुर स्थित सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की दूसरी यूनिट से मार्च और तीसरी यूनिट से जून-जूलाई तक बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ हो जाएगा।
एनपीजीसीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी(सीईओ) विजय सिंह ने विशेष वार्ता में बताया कि परियोजना में चार बिजली उत्पादन इकाईयों की स्थापना होनी है और पहली यूनिट के बनने के बाद इससे 660 मेगावाट का बिजली उत्पादन हो रहा है तथा दूसरी-तीसरी यूनिट से भी 660-660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। तीनों यूनिट से उत्पादन आरंभ हो जाने पर परियोजना की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1980 मेगावाट की हो जाएगी। तीनों यूनिट का काम पूरा होने के बाद 660 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की चैथी यूनिट पर काम होगा और इसका कार्य पूर्ण होने पर परियोजना अपनी कुल उत्पादन क्षमता 2640 मेगावाट को प्राप्त कर लेगी। उन्होने बताया कि परियोजना की दूसरी यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन के लिए लगातार काम चल रहा है। उम्मीद है कि दूसरी यूनिट से 15 से 20 मार्च तक वाण्ज्यििक उत्पादन आरंभ हो जाएगा।
इसके बाद परियोजना की तीसरी यूनिट से जून-जूलाई तक वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ करने का लक्ष्य रखा गया है और उम्मीद है कि निर्धारित समय पर हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। श्री सिंह ने बताया कि बिजली परियोजना में किसी भी यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उस यूनिट को लगातार 72 घंटे फुल लोड पर चलाया जाता है और इस कार्य की सफलता के बाद उस यूनिट से वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ होता है। उन्होने बताया कि परियोजना की पहली यूनिट से उत्पादित हो रही बिजली में 85 प्रतिशत बिहार को, 10 प्रतिशत उतर प्रदेश को, 4 प्रतिशत झाारखंड को और एक प्रतिशत बिजली सिक्किम को आपूर्ति की जा रही है और दूसरी, तीसरी और चैथी यूनिट से उत्पादन आरंभ होने पर भी इन राज्यों को इसी अनुपात में बिजली की आपूर्ति होगी। इस हिसाब से परियोजना की पहली यूनिट से अभी बिहार को 85 प्रतिशत यानी 561 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा रही है और दूसरी-तीसरी यूनिट से उत्पादन आरंभ होने पर 561×3 यानी कुल 1683 मेगावाट बिजली मिलेगी। उन्होने बताया कि राज्यों को बिजली की आपूर्ति उनके द्वारा की जाने वाली मांग के आधार पर की जाती है और इस क्षेत्र में मांग में कभी कमी नही आती है बल्कि बढ़ोतरी ही होती है।