मुख्य सचिव ने किया बिहार कौशल विकास मिशन तहत फुटपाथी दुकानदारों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

स्ट्रीट वेंडरों को प्रशिक्षण देने वाला इकलौता प्रदेश बना बिहार, प्रशिक्षण उपरांत इन्हें मिलेगा स्वाभिमान एप का लाभ

प्रशिक्षण रथ को हरी झंडी दिखा कर किया गया रवाना

पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। श्रम संसाधन विभाग, बिहार के अंतर्गत संचालित बिहार कौशल विकास मिशन के द्वारा संकल्प योजना के तहत मैनेजमेंट सेक्टर स्किल काउंसिल (MEPSC) के द्वारा प्रदेश के फुटपाथी दुकानदारों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज पटना के गांधी संग्रहालय में किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि आमिर सुबहानी, मुख्य सचिव, बिहार के कर कमलों द्वारा किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, श्रम विभाग के प्रधान सचिव बी राजेन्दर व अन्य।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने प्रशिक्षण रथ को हरी झंडी दिखा कर रवाना भी किया। इसके साथ ही बिहार देश का इकलौता प्रदेश बन गया, जहां स्ट्रीट वेंडरों के लिए सरकार इस प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है। साथ ही इस कार्यक्रम के तहत स्ट्रीट वेंडरों को प्रशिक्षण के उपरांत स्वाभिमान एप का लाभ भी मिलेगा। 

मौके पर बिहार के मुख्य अतिथि आमिर सुबहानी ने अपने संबोधन में कहा कि स्ट्रीट वेंडिंग का कार्य शहरों और कस्बों में एक महत्वपूर्ण आजीविका की गतिविधि है। यह न केवल हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि आम जनता के लिए सस्ती वस्तुओं और सेवाओं के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में भी कार्य करता है। हालांकि, स्ट्रीट वेंडिंग विक्रेताओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि औपचारिक बाजारों तक पहुँच की कमी, विनियमन और सामाजिक सुरक्षा। फिर भी ये स्ट्रीट वेंडर अपने को सामाजिक सरोकार से जोड़ कर निरंतर सभी स्तरों पर अपनी सेवा देते रहते हैं। इसके मद्देनजर यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

प्रशिक्षण रथ को रवाना करते मुख्य सचिव, श्रम विभग के प्रधान सचिव, ना के तहत मैनेजमेंट सेक्टर स्किल काउंसिल के प्रमुख, आल इंडिया हॉकर्स फोरम के महासचिव व अन्य।

यह कार्यक्रम स्ट्रीट वेंडर्स और उनके परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक उत्कृष्ट पहल है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें बुनियादी व्यावसायिक अभ्यास, वित्तीय प्रबंधन, स्वच्छता और सुरक्षा मानक को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य, उन्हें अपने वेंडिंग व्यवसायों को अधिक कुशल, स्वच्छ और लाभदायक तरीके से संचालित करने के लिए आवश्यक टूल और ज्ञान से लैस करना है।

उन्होंने बताया कि हमारी सरकार स्ट्रीट वेंडर्स के अधिकारों को जानती है और उनके महत्व को पहचानती है। सरकार का उद्देश्य समावेशी सार्वजनिक स्थानों को बढ़ावा देना है, जो सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों को समायोजित कर सके। मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम फुटपाथी दुकानदारों, रेहड़ी पटरी वालों की गरिमा और सामाजिक स्थिति सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि इस  प्रशिक्षण कार्यक्रम सराहनीय है। फुटपाथी दुकानदारों/ रेहड़ी पटरी वालों को प्रशिक्षण देने के दौरान जो अनुभव प्राप्त हो, उसे प्रतिवेदित कर आवश्यकता अनुसार सुधार भी किया जाए। आने वाले दिनों में इस कार्यक्रम से सीख को समाहित करते हुए, इस प्रशिक्षण को पूरे राज्य में लागू किया जाए।

उक्त अवसर पर श्रम संसाधन विभाग, बिहार के प्रधान सचिव, डॉ. बी. राजेन्दर ने कहा कि स्ट्रीट वेंडरों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, महज कौशल विकास के बारे में नहीं है, वरन समावेशिता और सशक्तिकरण के बारे में है। स्ट्रीट वेंडिंग अक्सर कई व्यक्तियों के लिए आजीविका का एकमात्र साधन है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा या नौकरी के अवसर नहीं हैं। उन्हें प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करके, हम उन्हें गरीबी के दुष्चक्र से मुक्त होने और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने का मौका दे रहे हैं। कौशल विकास प्रशिक्षण के इस कार्यक्रम का उद्देश्य हमारे स्ट्रीट वेंडर्स को आवश्यक कौशल और ज्ञान से सशक्त बनाना है ताकि वे अपने व्यवसाय में आगे बढ़ सकें। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से, हम उन्हें वित्तीय प्रबंधन, स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा, ग्राहक सेवा और विपणन जैसे आवश्यक क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करना चाहते हैं।

हमारा दृढ़ विश्वास है कि अपने स्ट्रीट वेंडर्स को इन प्रासंगिक कौशलों से लैस करके, हम न केवल उनके व्यवसायों को बढ़ा सकते हैं बल्कि समग्र शहरी परिदृश्य में भी सुधार कर सकते हैं। एक कुशल और जानकार स्ट्रीट वेंडर उपभोक्ताओं की संतुष्टि सुनिश्चित करते हुए बेहतर उत्पादों और सेवाओं की पेशकश कर सकता है। वे हमारे शहरों के आर्थिक विकास में भी योगदान दे सकते हैं, जिससे ऐसा प्रभाव पैदा हो सकता है जिससे पूरे समुदाय को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बिहार कौशल विकास मिशन राज्य में कौशल विकास की नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत है, जिसके तहत राज्य के युवाओं को रोजगार से जोड़े जाने हेतु विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्ट्रीट वेंडर्स के फलने-फूलने के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में काम करने के तत्पर है। सरकार स्ट्रीट वेंडरों के बेहतर आधारभूत संरचना, क्रेडिट तक आसान पहुंच और व्यापक दर्शकों के लिए अपने उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के अवसर प्रदान करने का प्रयास करती रहेगी। 

प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता रिटायर्ड कर्नल, अनिल कुमार पोखरियाल, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, (MEPSC) ने किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में कहा कि बिहार कौशल विकास मिशन द्वारा संकल्प योजना के तहत मैनेजमेंट सेक्टर स्किल काउंसिल (MEPSC) प्रदेश के 1500 फुटपाथी दुकानदारों को प्रशिक्षत करेगी। यह MEPSC का पायलट प्रोजेक्ट है, जिसके तहत 5 जिलों के फुटपाथी दुकानदारों प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण 4 दिन में 48 घंटों का होगा, जिससे प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्हें स्वाभिमान एप से भी जोड़ा जाएगा। इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने वाला बिहार पहला प्रदेश है।

वहीं, इस अवसर पर मिशन निदेशक, बिहार कौशल विकास मिशन, श्री संजय कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूप रेखा की विस्तृत जानकारी दी।

धन्यवाद ज्ञापन आल इंडिया हाकर्स फोरम के महासचिव इरफ़ान अहमद ने किया।

मौके पर मिशन प्रबंधक परियोजना संजीव रंजन नीलमणि, मिशन प्रबंधक आईटी, अतुल सुमन, बिहार में संकल्प योजना हेतु कार्यरत इन्दाक्ट्स से भास्कर नंदी, अभिषेक सिन्हा, ई एंड वाई के परियोजना निदेशक, रत्नदीप सिंह, MEPSC से निजामुद्दीन, शेखर सक्सेना, हॉकर्स फोरम के प्रमुख इरफ़ान अहमद समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। 

संकल्प योजना का संक्षिप्त परिचय

देश भर में युवाओं के लिए गुणवत्ता और बाजार-प्रासंगिक प्रशिक्षण तक पहुंच बढ़ाने हेतु कौशल विकास के लिए संस्थागत तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए विश्व बैंक से ऋण सहायता के साथ कौशल विकास मंत्रालय ‘संकल्प’ को 19 जनवरी 2018 को आरंभ किया गया था। संकल्प का उद्देश्य, कौशल विकास कार्यक्रमों में अभिसरण के बारे में जानकारी देना, गुणवत्ता में बदलाव लाना और उन्हें अल्पकालिक प्रशिक्षण के संदर्भ में निजी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए बाजार को प्रासंगिक और सुलभ बनाकर मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना है।