औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के नये व्यवहार न्यायालय भवन का उद्घाटन शनिवार को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति संदीप कुमार एवं न्यायमूर्ति सह निरीक्षी जज राजीव राय ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया।
इसके बाद नये व्यवहार न्यायालय परिसर में वृक्षारोपण भी किया। इसके बाद नये व्यवहार न्यायालय के पांच मंजिले भवन का उद्घाटन शिलापट्ट का पर्दा हटा कर किया। साथ ही नये व्यवहार न्यायालय भवन को औरंगाबाद को समर्पित किया। इसके पूर्व पालना घर का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति संदीप कुमार एवं न्यायमूर्ति राजीव राय ने किया। नये व्यवहार न्यायालय भवन के नीचे मंच का तीनों न्यायमूर्ति, जिला जज मनोज कुमार तिवारी तथा स्पेशल पीपी कुमार योगेन्द्र नारायण सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर उद्धाटन किया। उद्घाटन समारोह में स्वागत भाषण जिला जज मनोज कुमार तिवारी ने किया। उनके बाद निरीक्षी जज ने सभी का अभिनंदन किया। इसके बाद न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने औरंगाबाद के न्यायिक पदाधिकारियों के कार्यों की प्रशंसा की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने औरंगाबाद के 26 लाख लोगों को प्रणाम करते हुए संबोधन आरंभ किया और युवा अधिवक्ताओं का जोश बढ़ाते हुए कहा कि आपका बार यंग बार है। न्यायिक पदाधिकारियों से आग्रह किया कि औरंगाबाद में ऐसा फैसला दे कि पक्षकार को न अपील करना पड़े, न दलील देना पड़े।
ऐसा आदर्श स्थापित करें कि औरंगाबादवासियो का हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट औरंगाबाद का ही कोर्ट हो क्योंकि अधिकांश किसान, मजदूर को न्याय के लिए लम्बी लड़ाई संभव नहीं है। फैसला भले किसी के पक्ष या खिलाफ हो मगर फैसला में न्याय निहित हो। वाद की प्रकिया के तेज़ी से क्रियान्वयन के लिए जिला जज, जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक, सिविल सर्जन समय समय पर समीक्षात्मक बैठक करें। कहा कि आपको मालूम है कि कोरोना काल में भी आम आदमी के मौलिक अधिकार की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट हमेशा खुला रहा। उन्होंने कहा कि जब हम न्याय करते हैं, फैसला करते हैं तो जजमेंट केवल काली स्याही का दस्तावेज नहीं होता, वह किसी के आंसू पोंछने के काम आती है।
औरंगाबाद में भी एक कोर्ट ऐसा बनाये, जहां सबकुछ ऑनलाइन हो। फाइलिंग से लेकर गवाही, बहस, जजमेंट तक ऑनलाइन हो। इससे बहुत फायदे होंगे। यहां तक कि पक्षकार को भी इंटरनेट पर वाद की जानकारी मिलती रहेगी। कहा कि यहां कुल 60 हजार केस में 11 हजार वाद उत्पाद विभाग से संबंधित है जिससे न्यायालय पर भार बढ़ा है, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ केस ऐसे भी आ रहे है जिस पर नाम किसी का, और कब्जा किसी और का है। उन्होंने न्यायधीशों से अनुरोध करते हुए कहा कि प्रोसेस पनिशमेंट बन जाए, इसलिए वाद निष्पादन में समय पर ध्यान दें। अंत में कहा कि औरंगाबाद आकर बहुत खुशी हुई आपका धन्यवाद।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश कृष्ण कांत त्रिपाठी ने किया। इसके बाद पटना हाईकोर्ट के सभी न्यायमूर्तियों और व्यवहार न्यायालय के सभी न्यायिक पदाधिकारियों ने नये व्यवहार न्यायालय भवन का भ्रमण किया और शुभकामनाएं प्रकट की। कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर, जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल, आरक्षी अधीक्षक कांतेश मिश्रा, अंचलाधिकारी, लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल, जिला विधिक संघ के अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, महासचिव नागेंद्र सिंह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, महासचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी, अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही, दाउदनगर विधि संघ के अध्यक्ष, सचिव, और स्पेशल पीपी, एपीपी तथा तमाम अधिवक्ता और न्यायिक कर्मचारीगण उपस्थित रहे।