औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के विश्व प्रसिद्ध सूर्य नगरी देव (World famous Surya Nagari Dev) में लोक आस्था के महापर्व कार्तिक छठ पर बिहार के कोने-कोने और पड़ोसी राज्यों से आए करीब 15 लाख छठव्रतियों ने शुक्रवार सुबह उगते सूर्य (Rising Sun) को अर्घ्य अर्पित किया। इससे पूर्व गुरुवार शाम को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया था। आज प्रातः बेला में उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व संपन्न हो गया। कार्तिक छठ व्रत के दौरान सूर्य नगरी देव में सर्वत्र सूर्य भक्ति की गंगा बहती नजर आई।
पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। छ्ठ व्रतियों द्वारा गाए जा रहे छ्ठ गीतों से पूरी देव नगरी गुंजायमान होती रही। गुरुवार सुबह से ही औरंगाबाद की सभी सड़कें सूर्य नगरी देव जाती दिखी और श्रद्धालुओं का देव जाने का सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। दोपहर बाद देव के पूरे इलाके में श्रद्धालुओं और छ्ठ व्रतियों का सैलाब उमड़ा नजर आया।
सभी छठ व्रती अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने पवित्र सूर्यकुंड की ओर जाते दिखे। इस दौरान सूर्यकुंड में स्नान कर सूर्य मंदिर तक दंडवत देने का भी सिलसिला जारी रहा। यही शिलशिला शुक्रवार की सुबह भी नजर आया। एक अनुमान के मुताबिक करीब 15 लाख छ्ठ व्रतियों ने गुरुवार की शाम अस्ताचल व शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पित करने के बाद छठव्रतियों (Chhath devotees) ने त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की और मन्नते मांगी। इस दौरान देव सूर्य मंदिर (Dev Sun Temple) में लाखों की संख्या में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रही।
अद्वितीय धार्मिक महत्ता के कारण देव में हर साल कार्तिक और चैत के महीने में चार दिवसीय छठ मेला लगा करता है। इस दौरान बिहार के कोने-कोने के अलावा पड़ोसी देश नेपाल और पड़ोसी राज्य बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उतर प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों से श्रद्धालु और व्रती छ्ठ करने देव आते है। कोरोना काल में यहां छ्ठ करने आने वालों की संख्या में कमी आ गई थी।
कोरोना काल के समाप्त होने के बाद यह संख्या फिर से लगातार बढ़ने लगी है। कोरोना काल के समाप्त होने के बाद लावण लगने के कारण नए श्रद्वालु इस वजह से छ्ठ व्रत नही कर रहे थे क्योकि लावण में कोई भी नया धार्मिक कार्य शुरू नही करने का विधान चला आ रहा है। इस बार के कार्तिक छठ के दौरान लावण नही था, इस कारण व्रतियों की संख्या इस बार बढ़कर करीब 15 लाख पहुंच गई। इसके पहले भी धार्मिक महता के कारण चैती छ्ठ में 6 से 8 लाख और कार्तिक छ्ठ में 10 से 12 लाख श्रद्धालु देव आते है।
देव आकर छ्ठ करने के पीछे श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां आकर छठ व्रत करने पर सूर्यदेव उनकी मनोकामनाओं को अवश्य पूरा करते है और उन्हे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही छठ व्रत के दौरान श्रद्धालुओं और व्रतियों को सूर्यदेव के आंतरिक रूप से साक्षात उपस्थिति की रोमांचक अनुभूति होती है।
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