नई दिल्ली (विद्या भूषण शर्मा)। पिछले 6 सालों में कृषि बजट में बहुत सारे बदलाव और उन्नति हुई है। किसानाें के तीनों बिल के अलावा, जिसे “एंटीफ़ार्म” कहा जा रहा है, डाटा के अकॉर्डिंग उसकी एक अलग ही कहानी है।
कृषि के लिए बजट में लगातार वृद्धि हुआ है, जो कि केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाती है। वर्ष 2014 – 19 की अवधी के लिए कृषि का बजट वर्ष 2009 – 14 के लिए लगभग दोगुना बढ़ गया है।
वर्ष 2009 – 14 में कुल बजट 1.21 लाख करोड़ का था, लेकिन वर्ष 2014 – 19 में यह बढ़ के 2.11 लाख करोड़ का हो गया है। इसके अलावा, वर्ष 2020 – 21 के लिए कृषि बजट 1.34 लाख करोड़ रुपये का है, जो यूपीए के पुराने कार्यकाल के 5 वर्षों से अधिक है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को साल 2020 -21 के लिए 5,138 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह वर्ष 2019 -20 के संशोधित अनुमान से 5.5% अधिक है।
फसल विज्ञान और पशु विज्ञान के तहत अनुसन्धान को वर्ष 2020 -21 में 965 करोड़ रुपये और 486 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा, वर्ष 2021 – 22 के बजट में कुछ अन्य चीजों को जोड़ा गया है, जिसमें कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड भी शामिल है। 1,000 मंडियों को ई- एनएएम बाजार में शामिल किया गया है।
चेन्नई, कोच्चि और पारादीप समेत पांच प्रमुख मछली पकड़ने के केंद्र भी विकसित किए जाने हैं, तमिलनाडु में भी एक समुद्री सिवार पार्क भी स्थापित किया जाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण ने किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) का भुगतान करने में सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड और राज्य संचालित केंद्र (APMC) को 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) तक पहुंचने के निर्णय की अनुमति देने पर भी जोर दिया है।
केंद्र सरकार ने भी अपनी कृषि योजनाओं को शुरू करने और बढ़ाने के लिए, किसानों को एक आसान रास्ता भी प्रकाशित किया है। पीएम किसान जैसी योजनाएं, जिन्होंने छोटे किसानों के लिए अतिरिक्त आय प्रदान की है, उनके लिए एक महत्वपूर्ण निवेश भी दिया है। सरकार द्वारा पीएम किसान ड्राइव के लिए 75,000 करोड़ रुपये से अधिक की आय प्रदान की गई है, जिसके वजह से किसान अब प्रति वर्ष 6,000 रुपये कमाते हैं। इसी उद्देश्य के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) की स्थापना की गई है।
सरकार ने कृषि तकनीकों में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया है, जो हमारे किसानों को कम्पटीशन से बाहर खड़ा करने की अनुमति देता है, जो शायद ही कभी देखा जाता है। सरकार अभी ज़ीरो बजट खेती को प्रोत्साहित कर रही है जिसमे केमिकल फ़र्टिलाइज़र का इस्तेमाल बिलकुल भी ना हो। यह छोटे किसानों के लिए खेती को और भी अधिक संभव बना सकता है और उन्हे कर्ज में आने से भी बचाता है।
केंद्र सरकार ने एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भी शुरू की है, जिसमें किसानों को मिट्टी और उसकी कंपोजीशन को समझने में मदद करेगा तथा सकारात्मक प्रभाव भी डालेगा। इससे किसानों को यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि क्या उगाना है और कितना फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करना है।
मोदी सरकार ने भारतीय किसानों को समर्थन देने के लिए इंस्टिट्यूशनल क्रेडिट किसानों की आवश्यकता को मान्यता दी है। कई दशकों से, किसानों को धन लेने के लिए साहूकारों से अत्यधिक ब्याज पर उधार लेने के लिए मजबूर किया गया है। मोदी सरकार ने कृषि ऋण की मात्रा और प्रसार दोनों को प्रभावी ढंग से बढ़ाया है। कृषि ऋण लक्ष्य रिकॉर्ड पर पहुंच गया है, किसानों को उपलब्ध इंस्टिट्यूशनल ऋण की मात्रा केवल छह वर्षों में ही लगभग दोगुनी हो गई है। किसान क्रेडिट कार्ड ने भी किसानों के लिए सरकार की पहुंच को बढ़ाया है।
कृषि सुधार पर तीन कानूनों को शुरू करने के माध्यम से, सरकार किसानों को उनकी कीमतों को बेचने के लिए एक अतिरिक्त मंच प्रदान करने के लिए काम कर रही है। किसान कानून में हुई सुधारों ने किसानों को मंडियों के बाहर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता भी दी है, मतलब की एक किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकता है, जहां उसे बेहतर दाम मिले।
वर्ष 2021 – 22 के बजट में तीन कानूनों के संबंध में सभी संदेहों को दूर करना चाहिए, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बयान में कहा- “इस बजट में, सरकार ने MSP के लिए अपनी प्रतिबद्धता के साथ APMC मंडियों को सशक्त बनाने का प्रावधान किया है। मूल रूप से, कृषि बिलों के बारे में दो मुख्य संदेह थे। ”उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि कृषि संघ अब कानूनों को सही रूप से विचार करेंगे।
सरकार सोलर पंप के माध्यम से भी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही है। साथ ही, किसानों की बेकार और बंजर ज़मीन का उपयोग सोलर एनर्जी उत्पन्न करने और किसानों को आय के अतिरिक्त इनकम हो, इसके लिए किया जा रहा है।
पीएम-कुसुम जैसी योजनाओं ने 20 लाख किसानों को स्टैंड-अलोन सोलर पंप के लिए सब्सिडी के माध्यम से समर्थन दिया है, जिससे डीजल और बिजली के लिए उनकी इनपुट लागत कम हो गई है। सरकार आगे 15 लाख किसानों को अपने ग्रिड से जुड़े पंपों को सोलराइज करने में मदद करेंगी।
सरकार का कहना है कि- राहत के उपाय संकट के समय में अधिक किसानों की रक्षा करते हैं, आपदा राहत के लिए आवश्यकताओं में महत्वपूर्ण काम किया गया है। सभी श्रेणियों के लिए सहायता की राशि में डेढ़ गुना वृद्धि की गई है। संकट के मामलों में सहायता के लिए अब एलिजिबलिटी एक हेक्टेयर से दो हेक्टेयर तक बढ़ गई है, और अधिक किसानों को सुरक्षा जाल में लिया जा रहा है।
एसडीआरएफ प्रावधान बढ़ गया है, जो कि वर्ष 2010 – 15 में 33,580.93 करोड़ था,अब वह वर्ष 2015 – 20 में बढ़ के 61,220 हो गया है जो कि पिछले 5 सालो कि तुलना में 82% की बढ़ोतरी है।
टिड्डा हमलों को भी कई प्रकार से निपटा गया है, जैसे कि स्प्रे वाहन और हेलीकॉप्टर से किसानों के खेतो पर स्प्रे कराया गया। कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी, मोदी सरकार ने किसानों को समर्थन देने के लिए पीएम-किसान योजना के तहत न केवल किसानों को पैसे दिए, बल्कि किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए बड़ी खरीदारी भी की।
श्रीमती सीतारमण ने बजट में घोषणा की है कि, एपीएमसी भी फंड्स का उपयोग करने में सक्षम होंगे। एआईएफ का गठन पिछले वर्ष किया गया कोविड 19 प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में, ताकि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संघों, कृषि उद्यमियों और स्टार्ट-अप्स द्वारा कोल्ड चेन स्टोरेज और अन्य फसल कि बुनियादी ढांचे कि स्थापना के लिए परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराया जा सके।