औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। भारतीय रेल और एनटीपीसी लि. के संयुक्त उद्यम भारतीय रेल बिजली कंपनी लि.(बीआरबीसीएल) की बिहार के औरंगाबाद के नबीनगर स्थित 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली बिजली परियोजना पूर्णतः प्रदूषण मुक्त पावर प्लांट बनेगी।
बीआरबीसीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि प्रकाश ने बताया कि बीआरबीसीएल बिजली उत्पादन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयास कर रही है। इसी प्रयास के तहत बीआरबीसीएल देश के अपने पहले और इकलौते अत्याधुनिक पावर प्लांट को पूर्णतः प्रदूषण मुक्त ताप विद्युत परियोजना के रूप में तब्दील करने के प्रति कृत संकल्पित है।
बीआरबीसीएल की पावर प्लांट में 650 करोड़ की लागत से लगेगा एफजीडी सिस्टम–
इसी संकल्प के तहत नबीनगर स्थित इस पावर प्लांट में स्पेशल फ्यूल गैस डी-सल्फराइजेशन (एफजीडी) सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इस विशिष्ट संयंत्र की स्थापना से बीआरबीसीएल की इस अति आधुनिक बिजली परियोजना से होनेवाले प्रदूषण को लगभग पूरी तरह नियंत्रित कर लिया जाएगा। एफजीडी संयंत्र की स्थापना पर 650 करोड़ की लागत आएगी और इसका निर्माण भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि.(बीएचईएल) द्वारा किया जाएगा।
एफजीडी सिस्टम लगानेवाला बिहार का पहला पावर प्लांट बनेगा बीआरबीसीएल-
उन्होने कहा कि एफजीडी सिस्टम से लैस होनेवाला यह बिहार का पहला पॉवर प्लांट बनेगा। इस संयंत्र की स्थापना पर तेजी से काम चल रहा है। हालांकि इसी परियोजना के पास में ही स्थित एनटीपीसी के 1980 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाले नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन(एनएसटीपीएस) में भी एफजीडी सिस्टम लगाने की योजना बन रही है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रहा बीआरबीसीएल–
श्री प्रकाश ने बताया कि बीआरबीसीएल प्रदूषण नियंत्रण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसके तहत परियोजना के क्षेत्र को हरा भरा बनाये रखने के लिए विशेष कदम उठाए गए है। उन्होने बताया कि परियोजना प्रभावित 16 गांवों के अलावा आसपास के इलाकों में बीआरबीसीएल द्वारा अब तक एक लाख से अधिक पेड़ लगाए गए है।
ये है एफजीडी सिस्टम की विशेषता–
बीआरबीसीएल के सीईओ ने बताया कि फ्यूल गैस डिसल्फराइजेशन अर्थात एफजीडी वह तकनीकी व्यवस्था है, जिसके तहत बिजली बनाने के लिए कोयले के उपयोग से निकलने वाले खतरनाक सल्फर डाइऑक्साइड गैस को चिमनी से निकलने के पहले ही अलग कर लिया जाता है। बीआरबीसीएल के पावर प्लांट में इसे स्थापित किया जा रहा है। इस प्लांट की 250 मेगावाट की चार इकाइयों में एफजीडी सिस्टम लगाया जा रहा है। यह ईएसपी के जैसे ही होता है लेकिन सल्फर डाइऑक्साइड को सोख लेता है। उन्होने बताया कि सल्फर डाइऑक्साइड के वातावरण में जाने का दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य, वनस्पति और किसी भी जीव पर पड़ सकता है। सल्फर डाइऑक्साइड की वातावरण में अधिकता हो जाने पर वनस्पति व जमीन की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है तथा स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां भी होने लगती हैं लेकिन नबीनगर के इलाकें में ऐसी स्थिति नही है। ऐसी स्थिति आने के भी कही से आसार नही है। इसके बावजूद भविष्य में इस तरह के किसी संकट के नही आने को लेकर ही बीआरबीसीएल की इस बिजली परियोजना का एफजीडी सिस्टम से लैस किया जा रहा है।
पर्यावरणविद भी करते है पावर प्लांट्स में एफजीडी सिस्टम लगाने की वकालत–
पर्यावरणविदों का कहना है कि कोयला से चलने वाले किसी भी पावर प्लांट में धुएं के साथ सल्फर डाइऑक्साइड निकलता है। बारिश में जब यह गैस पानी में घुलती है तो सल्फ्यूरिक एसिड बन कर जमीन पर गिरती है, जो जमीन की उर्वरता को कम करता है। यह किसी भी जीव व वनस्पति के लिए भी हानिकारक है। सभी पॉवर प्लांट जो थर्मल है, उनमें एफजीडी सिस्टम लगना चाहिए। जिस किसी भी पावर प्लांट में यह सिस्टम लग जाता है, वहां प्रदूषण की समस्या पूरी तरह क्षीण हो जाती है।