औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के सभी 6 विधानसभा सीटों के चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हुआ है कि कुल 17964 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।
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आंकड़ों पर गौर करे तो गोह में 1663, ओबरा में 3793, नबीनगर में 3364, कुटुंबा में 2586, औरंगाबाद में 3368 एवं रफीगंज में 3190 वोटरों ने नोटा का विकल्प चुना। इस चुनाव में सबसे अधिक ओबरा विधानसभा क्षेत्र में 3793 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। यदि मतदाताओं में यही प्रवृत्ति रही तो आने वाले दिनों में प्रत्याशियों के लिए नोटा एक बहुत बड़ी समस्या बनेगी। नोटा ने यहां सोंटा भी चलाया है और जिले के सभी 6 विस क्षंत्रों से चुनाव मैंदान में उतरे कुल78 प्रत्याशियों में 47 नोटा से हारे है।
नोटा(एनओटीए) का मतलब नान ऑफ द एबव यानी इनमें से कोई नहीं होता हैं। दरअसल नोटा का मुख्य उद्देश्य उन मतदाताओं को एक विकल्प उपलब्ध कराना रहा हैं, जो चुनाव लड़ रहे किसी भी कैंडिडेट को वोट नहीं डालना चाहते। यह वास्तव में मतदाताओं के हाथ में चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट का विरोध करने का एक हथियार हैं।
नोटा का भारत में सर्वप्रथम इस्तेमाल 2013 में राज्यों के विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में किया गया था। इसके बाद 2014 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी नोटा का इस्तेमाल किया गया था।