पटना(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। बिहार की नीतीश सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा फैसला लिया है। पंचायत चुनाव होने तक बिहार की ग्राम पंचायतों और ग्राम कचहरियों का काम 16 जून से परामर्शी समितियां संभालेंगी। इसके लिए पंचायती राज अधिनियम, 2006 में राज्य सरकार संशोधन करेगी। वर्ष 2016 में गठित त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरी 16 जून से स्वत: भंग मानी जाएंगी। इस तरह 15 जून के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। पंचायतों और कचहरियों का काम प्रभावित नहीं हो, इसके लिए राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इसकी स्वीकृति दी गई। राज्यपाल की सहमति के बाद अध्यादेश लाकर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। इसके बाद परामर्शी समूह के स्वरूप पर आदेश जारी होगा। इसमें यह तय किया जाएगा कि समिति में कौन-कौन रहेंगे। हर पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और ग्राम कचहरी के लिए समिति गठित होगी।
मालूम हो कि पंचायत चुनाव समय पर नहीं होने के कारण यह नई व्यवस्था लागू की जा रही है। अगला चुनाव होने तक यह व्यवस्था कायम रहेगी। शुरुआत में ईवीएम को लेकर और फिर बाद में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण पंचायत चुनाव को स्थगित किया गया है। राज्य में 8386 ग्राम पंचायतें, 534 पंचायत समितियां और 38 जिला परिषद गठित हैं।
बता दें कि पंचायतों में राज्य सरकार प्रशासक नियुक्त करने के पक्ष में थी, लेकिन सरकार में सहयोगी पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, वीआईपी के मुकेश सहनी और भाजपा इसके पक्ष में नहीं थी। इसी को लेकर कई दिनों से खिंचतान भी चल रहा था। अंत में आज कैबिनेट बैठक से पहले भाजपा के टॉप नेताओं की एक बैठक ऑनलाइन हुई जिसके बाद सरकार को झारखंड की तर्ज पर परामर्शी समितियां बनाने के लिए दबाव बनाया गया।