औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। यदि पंचायत सरकार भवन निर्माण के स्थल विवाद का औरंगाबाद के शासन-प्रशासन ने समय रहते समाधान नही निकाला तो नवादा के कौआकोल के करमाटांड़ में दो पक्षों में हुए हिंसक झड़प जैसी घटना की नबीनगर के राजपुर में भी पुनरावृति हो सकती है। राजपुर में भी पंचायत सरकार भवन के स्थल को लेकर विवाद चल रहा है।
विवाद की यह है वजह–
दरअसल राजपुर पंचायत का मुख्यालय राजपुर गांव है और सरकारी प्रावधान के तहत पंचायत सरकार भवन का निर्माण पंचायत मुख्यालय में ही किया जाना है। वही इसके विपरीत राजपुर के पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए स्थल का चयन पंचायत मुख्यालय से करीब 5 किमी. दूर साया गांव में किया गया है। इसे लेकर राजपुर के ग्रामीणों को घोर आपत्ति है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत की मुखिया नीतू देवी साया गांव की है। इस कारण उनके पति मुखिया प्रतिनिधि काली सिंह सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ कर अपने गांव में ही पंचायत सरकार भवन बनवाने पर आमादा है, जिसका वें विरोध कर रहे है।
पंचायत मुख्यालय में भूमि उपलब्ध नही रहने पर ही दूसरे गांव में पंचायत सरकार भवन बनाने का प्रावधान–
राजपुर ग्राम कचहरी के पूर्व सरपंच रवींद्र सिंह बताते है कि पंचायत मुख्यालय में भूमि की उपलब्धता नही होने की स्थिति में ही पंचायत मुख्यालय के निकटतम गांव में भूमि की उपलब्धता के आधार पर पंचायत सरकार भवन बनाए जाने का प्रावधान है। यहां इस प्रावधान की अनदेखी की जा रही है। राजपुर पंचायत मुख्यालय में ही पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए न केवल आवश्यकतानुसार भूमि उपलब्ध है बल्कि सरकारी जमीन अनुपयुक्त होने की स्थिति में यहां के सहृदय ग्रामीण अपनी निजी भूमि भी पंचायत सरकार भवन बनाने के लिए देने को तैयार है। इस स्थिति में राजपुर के बजाय साया में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कही से भी न्यायोचित नही है।
पंचायत सरकार भवन के लिए जमीन की रजिस्ट्री करने गए तो जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने पेंच फंसाया–
राजपुर के ग्रामीण शंभू प्रसाद सिंह उर्फ शंभू प्रताप चौहान ने बताया कि राजपुर पंचायत मुख्यालय में पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए वें अपनी निजी भूमि देने को तैयार है। इसके लिए वें अपनी जमीन की रजिस्ट्री बिहार के राज्यपाल के नाम करने जब औरंगाबाद के भूमि निबंधन कार्यालय गए तो वहां रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री करने के लिए जिला पंचायती राज पदाधिकारी के स्तर से जारी स्वीकृति पत्र की मांग की। इसके बाद जब वें जिला पंचायती राज पदाधिकारी के पास स्वीकृति मांगने गए तो उन्होंने स्वीकृति देने के बजाय पेंच फंसा दिया। कह दिया कि वें स्वीकृति नही दे सकते।
राजपुर में ही पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराना उपयुक्त–
राजपुर के ही मनोज सिंह बताते है कि राजपुर में ही पंचायत सरकार भवन बनाया जाना पूरी तरह उपयुक्त है। इसके लिए यहां सरकारी भूमि भी उपलब्ध है। गांव के लोग अपनी निजी जमीन भी देने को तैयार है। साथ ही राजपुर में ही नागरिक सुविधा केंद्र, बैंक, पैक्स मुख्यालय, पैक्स गोदाम और पैक्स का राइस मिल भी है। राजापुर गांव पंचायत के बीचोंबीच है। यहां आना पंचायत के हर गांव के ग्रामीण के लिए सुगम है। कायदे से और हर हाल में राजपुर पंचायत मुख्यालय में ही पंचायत सरकार भवन बनना चाहिए। पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए निविदा भी राजपुर के नाम से ही निकली है। साया गांव में जिस जगह पर मुखिया प्रतिनिधि पंचायत सरकार भवन बनवाना चाहते है, वह जगह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नही है। साया में जिस जगह का चयन पंचायत सरकार भवन के लिए किया गया है, उस जगह पर चारो ओर जलजमाव रहता है। वहां पर जल जीवन हरियाली योजना के तहत चेक डैम बना हुआ है। सरकारी प्रावधान है कि जल जीवन हरियाली की योजना के तहत निर्मित संरचना की 100 मीटर की परिधि में अन्य कोई बड़ा निर्माण किसी सरकारी योजना के तहत नही किया जा सकता है। कहा कि मामले में नबीनगर के अंचल अधिकारी की मंशा सही नही है। वें मुखिया प्रतिनिधि के पक्ष में काम कर रहे है। इसे लेकर ग्रामीणों ने औरंगाबाद के जिलाधिकारी से भी शिकायत की है लेकिन उनके स्तर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नही किए जाने से ग्रामीणों में असंतोष है। गांव के लोग इसे लेकर लंबी लड़ाई लड़ने को भी तैयार है। गांव के प्रदीप सिंह, कुसुम देवी, डॉ. शंकर सिंह, कन्हैया सिंह, रामनंदन सिंह, पैक्स अध्यक्ष दीपक सिंह, कुंवर साव, भीखर राम, जीतन ठाकुर, सुनील पाठक, महेश तिवारी एवं शक्ति सिंह आदि ने भी राजपुर पंचायत मुख्यालय में पंचायत सरकार भवन के निर्माण के प्रति सरकारी रवैए पर आपत्ति जताई। कहा कि पंचायत सरकार भवन राजपुर में ही बने। जरूरत पड़ी तो इसके लिए वें आंदोलन करने से भी पीछे नही हटेंगे।