औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भवन निर्माण एवं अन्य सामग्रियों के मूल्य नियंत्रण के लिए नियामक बनाने के प्रति सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। सांसद ने कहा कि भवन निर्माण सामग्रियाें यथा-सीमेंट, लोहा, सरिया, एंगल, चैनल, बालू, सैंड, गिट्टी यानी स्टोन चिप्स और्र इंट आदि चीजों की कीमत तय करने के लिए अभी तक कोई रेगुलेटरी ऑथोरिटी नहीं है जबकि कृषि उत्पाद का मूल्य तय करने के लिए कृषि मूल्य आयोग है।
टेलीफोन का दर तय करने के लिए ट्राय है एवं बिजली का दर तय करने के लिए भी नियामक है लेकिन भवन निर्माण सामग्रियों की कीमत को तय करने के लिए कोई नियामक और कोई अथॉरिटी नही है। इसका सीधा-सीधा असर गरीबों और बेघरों के लिए बनी प्रधानमंत्री आवास योजना पर पड़ रहा है। कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबों के लिए सस्ते मकान की योजना शुरू की है। इसके अतिरिक्त अभी-अभी भूतल परिवहन मंत्रालय के अनुदान मांग पर बहस के दौरान कंक्रीट से बननेवाली सड़को, पुलों के निर्माण पर इन चीजों के कीमत नियंत्रित नहीं होने के कारण बेतहाशा एवं मनमानी तरीके से कीमतों में वृद्धि से देश के खजाने को नुकसान पर भी सदस्यों ने चर्चा की थी।
साथ प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि को डेढ़ लाख से बढ़ाने की मांगएक सदस्य ने की थी। निर्माण सामग्रियां इतनी महंगी है कि डेढ़ लाख में गरीबों का घर अच्छे तरीके से नहीं बन पाता है। इसलिए भारत सरकार से यह मांग करना चाहता हुं और यह मांग मैंने एक बार पहले भी 28 मार्च 2017 को भी इस सदन में रखा था। भवन निर्माण सामग्रियों के कीमत को तय करने के लिए एक रेगुलेटरी ऑथोरिटी होनी चाहिए ताकि देश के खजाने की भी बचत हो और प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को मकान बनाने में तथा अन्य सरकारी, निजी निर्माण कार्य एवं देश के गरीबों को भी इसका लाभ मिल सके।
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