औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के छः साल बाद औरंगाबाद की एक अदालत ने बिहार मद्य निषेध उत्पाद अधिनियम-2016 के तहत पहली सजा सुनाई है। इस सजा ने अवैध शराब कारोबारियों को एक सख्त संकेत भी दिया है। सख्त संकेत यह है कि बरामद शराब की मात्रा चाहे कितनी भी छोटी या बड़ी क्यों न हो, सजा तो जरुर मिलेगी और कानूनी दांव पेंच खेलने और अदालत से रहम की भीख मांगने के बावजूद अवैध शराब कारोबारी सजा से बच नही सकते और अदालत भी अवैध शराब कारोबारियों पर रहम नही करनेवाली है।
इस मामले यानी उत्पाद वाद संख्या-1207/18 में महज तीन लीटर अवैध शराब के साथ पकड़े गये अवैध शराब कारोबारी सदर प्रखंड के बेला गांव निवासी राहुल कुमार को औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-2 सह स्पेशल उत्पाद न्यायाधीश संजय कुमार झा की अदालत ने गुरुवार को को पांच साल कैद और एक लाख के जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना नही देने की स्थिति में अदालत ने छः माह के अतिरिक्त कारावास का प्रावधान किया है।
स्पेशल पीपी कुमार योगेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि उत्पाद विभाग के एक अवर निरीक्षक ने गुप्त सूचना पर छापेमारी कर अभियुक्त को तीन लीटर शराब के साथ गिरफ्तार किया था। मामले में अदालत ने अभियुक्त को 31 जनवरी को बिहार मद्य निषेध उत्पाद अधिनियम-2016 की धारा-30 ए के तहत दोषी करार दिया था। इस अधिनियम के तहत एक्साइज स्पेशल कोर्ट-2 ने यह पहली सजा सुनाई है।