लोस चुनाव निकट आते ही औरंगाबाद-बिहटा रेललाइन का निर्माण शुरु नही होने को ले केंद्र को घेरने की पूरी तैयारी, 29 नवंबर को ECR हेडक्वार्टर के घेराव के लिए संघर्ष समिति ने शुरू की पदयात्रा

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार के चार लोकसभा क्षेत्रों-औरंगाबाद, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र में डेढ़ दशक से अधिक समय से अधर में लटकी और चुनावी मुद्दा बनी औरंगाबाद-बिहटा रेल लाइन के निर्माण को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी हो गई है। हालांकि इसे लेकर केंद्र के विपक्षी इंडी गठबंधन का कोई भी दल सीधे तौर पर मैदान में नही उतरा है लेकिन गठबंधन के घटक दलों के नेता बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन संघर्ष समिति के बैनर तले गुरुवार को शाम से मैदान में उतर आए है।


औरंगाबाद से इसीआर हेडक्वार्टर हाजीपुर में 29 नवंबर को प्रदर्शन के लिए पदयात्रा आरंभ

संघर्ष समिति के बैनर तले औरंगाबाद शहर के रमेश चौक से पदयात्रा शुरू की गई है। पदयात्रा की शुरूआत करते हुए संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक मनोज यादव ने कहा कि पिछले 16 साल से औरंगाबाद-बिहटा रेल लाइन निर्माण को लेकर चार लोकसभा क्षेत्र की जनता को केंद्र सरकारों द्वारा लगातार ठगने का काम किया जा रहा है। हर साल केंद्रीय बजट में इस रेल लाइन के नाम पर थोड़ी सी राशि जारी कर छल किया जा रहा है। रेल लाइन परियोजना को लेकर समिति पिछले 9 साल से संघर्ष कर रही है। समिति के संघर्षों का ही परिणाम हैं कि 17 अप्रैल से बंद पड़े रेल लाइन का काम शुरू हो गया है। डीपीआर और सर्वे के लिए 3 करोड़ का टेंडर हुआ है। सर्वे का काम फरवरी 2023 में ही पूरा करना था लेकिन कार्य की गति धीमी होने के कारण मात्र 35 किमी. के लिए ही डीपीआर और सर्वे का काम पूरा हुआ है। हमारी मांग है कि डीपीआर और सर्वे का काम अति शीघ्र पूरा किया जाए। साथ ही रेल लाइन परियोजना के पूरे प्राक्कलन की राशि 3900 करोड़ जारी की जाए। वर्तमान में जारी मात्र 87 करोड़ की राशि से किसी भी सूरत में कार्य की गति नही बढ़ने वाली है। इसी मांग को लेकर समिति ने यह पदयात्रा शुरु की है, जिसका समापन 29 नवंबर को पूर्व मध्य रेल के मुख्यालय हाजीपुर में महाप्रबंधक के कार्यालय पर प्रदर्शन कर किया जाएगा। इसके बावजूद रेल लाइन परियोजना के लिए पूरी राशि जारी नही की गई तो परियोजना से संबंधित सभी चार लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव का बहिष्कार करते हुए नोटा का बटन दबाने के लिए जनसंपर्क और बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

इस रूट से होकर गुजरेगी  पदयात्रा-

23 नवंबर को औरंगाबाद लोस क्षेत्र में शहर के रमेश चौक से शाम में आरंभ हुई यह पदयात्रा देर रात काराकाट लोस क्षेत्र के ओबरा पहुंचकर रात्रि विश्राम करेगी। यहां से अगले दिन 24 नवंबर को पदयात्रा इसी लोस क्षेत्र के दाउदनगर पहुंच कर जनसंपर्क और आमसभा के बाद रात्रि विश्राम करेगी। अगले दिन यात्रा 25 नवंबर को जहानाबाद लोस क्षेत्र के मेहंदिया पहुंच कर जनसंपर्क और सभा करने के बाद रात्रि विश्राम करेगी। अगले दिन यात्रा 26 नवंबर को इसी लोस क्षेत्र के प्रसादी इंगलिश इंग्लिश पहुंचकर जनसंपर्क व सभा के बाद रात्रि विश्राम करेगी। यात्रा अगले दिन 27 नवंबर को पाटलिपुत्र लोस क्षेत्र के बिक्रम पहुंचकर जनसंपर्क व सभा के बाद रात्रि विश्राम करेगी। अगले दिन 28 नवंबर को यात्रा इसी लोस के दानापुर पहुंचकर जनसंपर्क व सभा कर रात्रि विश्राम करेगी। अगले दिन 29 नवंबर को पदयात्रा हाजीपुर पहुंचकर पूर्व मध्य रेल के मुख्यालय में महाप्रबंधक कार्यालय पर प्रदर्शन करेगी। 


1980 में आरा के सांसद चंद्रदेव वर्मा ने की थी बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन की परिकल्पना

बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन की परिकल्पना 43 साल पहले आरा वे तत्कालीन सांसद रहे स्व. चंद्रदेव वर्मा ने की थी। उस वक्त अपने संसदीय और राजनीतिक जीवन में रेल परियोजना की मांगा को विभिन्न मंचों से उठाने का काम किया था। इसके बाद लालू प्रसाद ने आज से 16 साल पहले 16 अक्टूबर 2007 को पालीगंज में इसका शिलान्यास किया था। तब से यह रेल लाइन परियोजना अधर में लटकी है।


2024 के लोस चुनाव में चार लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी मुद्दा रहेगी औरंगाबाद-बिहटा रेल लाइन परियोजना

औरंगाबाद-बिहटा रेल लाइन परियोजना का क्षेत्र औरंगाबाद, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है। इस रेल लाइन के बनने से पालीगंज, दुल्हिन बाजार, अरवल, कलेर, दाउदनगर, ओबरा और औरंगाबाद की करीब दो करोड़ की आबादी सीधे रेल लाइन से जुड़ेगी। इससे इस पूरे इलाके में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से विकास होगा। इस कारण यह रेल लाइन जिन इलाकों से होकर गुजरने वाली है, उन इलाकों में चुनावी मुद्दा बनने के साथ ही वोटरो को भी प्रभावित करेगी। इस पदयात्रा को भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।