मकर संक्रांति नजदीक आते ही औरंगाबाद की फिजां में घुलने लगी तिलकुट की सोंधी खुशबू

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। मकर संक्रांति की तैयारी शुरू हो चुकी है। फिजा में घुली तिलकुट की सोंधी खुशबू इसका एहसास करा रही है। मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही और तिलकुट खाने की परंपरा है। तिलकुट व्यवसायी इस रिवाज को भुनाने में लगे है। मकर संक्रांति में अब महज 21 दिन बचे है। ऐसे में पूरा शहर बाजार तिलकुट की खुशबू से गुलजार हो गया है।

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शहर के महाराजगंज रोड, रमेश चैक, ओवरब्रिज, ओल्ड जीटी रोड, धर्मशाला चैक सहित अन्य जगहों पर तिलकुट के दुकान सज चुके है। इसके अलावा विभिन्न प्रखंड मुख्यालयों में भी तिलकुट की बिक्री शुरू हो गयी है। ओबरा के तिलकुट के खुदरा एवं थोक व्यवसायी सत्येंद्र कुमार कहते है कि आम तौर पर ठंड शुरू होते ही तिलकुट बनने लगता है। कई ब्रांड के पैक तिलकुट भी आते है, लेकिन बाजार में लोकल तिलकुट की डिमांड सबसे अधिक है। खोवा व सफेद तिल का तिलकुट ग्राहक सबसे अधिक पसंद करते है। वहीं गुड़ वाली तिलकुट भी लोगों को काफी पसंद है।

मकर संक्रांति के नजदीक आते ही कारीगरों द्वारा तिलकुट बनाने का काम जोरों पर है। सभी दुकानों में कारीगर पूरे दिन बैठ कर तिलकुट तैयार कर रहे है, ताकि मकर संक्रांति के दिन माल कम न पड़ जाये। वैसे लोगों ने अभी से ही खरीदारी भी शुरू कर दी है। बाजार में तिलकुट का डिमांड है। वहीं स्वाद के मामले में खोवा वाले तिलकुट का कोई जवाब नहीं है। खोवा वाला तिलकुट फिलहाल बाजार में 280 से 300 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। ठंड बढ़ने के साथ-साथ मांग भी बढ़ रही है। तिलकुट खाने के अपने वैज्ञानिक फायदे भी हैं। तिलकुट में तिल होता है, जिसकी तासिर गर्म होती है। ठंड में तिल खाने से लोगों मौसम का असर कम होता है। आयुर्वेदिक दवाओं में भी तिल का इस्तेमाल होता है। तिलकुट खाने से कब्ज जैसी समस्या नहीं होती है और यह पाचन क्रिया को भी बढ़ाता है।