औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। यह अजब प्रेम की गजब कहानी है। लीक से भी कुछ हटकर है। हम सबने रोमियो-जूलियट, लैला-मजनू, हीर-रांझा, सिरी-फरहाद, और देवदास-पारो की प्रेम कहानियां सुनी है। लेकिन यह प्रेम कहानी देह से नही रूह से प्यार की कहानी कहती है।
यह कहानी है बिहार के औरंगाबाद के रिसियप थाना के एक छोटे से कसबें के दंपत्ति लालदेव-उर्मिला की है। दोनों में प्रेम देह से भी रहा और अब रूह से भी है। रूह से प्रेम इस वजह से है कि कहानी के एक पात्र को कोरोना निगल चुकी है। इस कारण कहानी इकलौते पात्र यानि रूरल रोमियो यानी लालदेव सिंह की ही है।
कहानी अब भी जारी दी एंड नही–
कहानी अब भी चल रही है और दी एंड नही हुआ है क्योकि कहानी के रोमियो रूपी पात्र लालदेव बूढ़े होने के बावजूद जिंदा है, जो अपनी जूलियट उर्मिला को बेइंतहा प्यार करते है। वें मरी हुई पत्नी की रूह के साथ रहते है। कैसे रहते है, आगे बताएंगे। पहले तो कहानी की जूलियट पात्र उर्मिला की तीसरी बरसी का दृश्य देख लीजिएं। यह दृश्य ही बता देगा कि दोनों में किस हद तक प्यार है।
तीसरी बरसी के नजारे–
तस्वीरों में देख सकते है कि हमारे बूढ़े रोमियो अपनी जूलियट उर्मिला को तीसरी बरसी पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे है। ऐसा वह पत्नी की हर बरसी पर करते है, जिसका आज तीसरा साल है। बरसी यानी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन के नजारे तो देख लिए तो अब दोनों के बीच के प्रेम की अथाह गहराई को नापने की भी कोशिश कर लेते है।
शाहजहां ने बनवाया था ताजमहल तो लालदेव ने पत्नी की यादों को जीवंत रखने के लिए बनवाया स्मारक–
शाहजहां ने तो पत्नी की याद में आगरा का ताज महल बनवा दिया था। वही लालदेव सिंह ने पत्नी उर्मिला की कोरोना काल में निधन के बाद उनकी याद में स्मारक बनवाया है। यह स्मारक ही लालदेव की दुनियां और सबकुछ है।
परिवार से अलग पत्नी की याद में बना स्मारक ही है लालदेव का आशियाना–
पत्नी के निधन के बाद से पत्नी की याद में बनवाया गया स्मारक ही लालदेव का आशियाना है। यही घर से उनका भोजन आता है। स्मारक बनवाने के बाद से लालदेव सिंह यही रहते है। पत्नी के निधन के बाद से उन्होने घर बार छोड़ रखा है। उनसे उनके बेटे-बहुएं और पोते-पोतियां यही मिलने आते है। 65 वर्षीय लालदेव सिंह बताते है कि पत्नी उर्मिला देवी की मौत आज से तीन साल पहले कोरोना के चपेट में आने से हो हो गई थी। उसके बाद पत्नी की याद में स्मारक बनवाने के बाद से आजतक वें अपनी जिंदगी के बचे दिन पत्नी के स्मारक के साथ ही बिता रहे है।
हर साल मनाते है पत्नी की पुण्यतिथि–
कहा कि वें हर साल पत्नी की पुण्यतिथि धुमधाम से मनाते है। आज पत्नी की तीसरी पुण्यतिथि है। पुण्यतिथि में आसपास के लोग भी भाग लेते है और आज भी लोगो ने भाग लिया और उर्मिला देवी के स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
स्मारक में होता है पत्नी के जिंदा होने का अहसास–
लालदेव सिंह ने बताया कि पत्नी के निधन के बाद से उन्होने दुनिया के हर कार्य का परित्याग कर दिया है। पत्नी का स्मारक ही उनका आशियाना है। कहा कि अब हमे जिंदगी से कोई मतलब नही रह गया है और बची हुई जिंदगी बस अपनी पत्नी के ही स्मारक के साथ गुजार देना है। यहां रहते हुए उन्हे तीन साल गुजर गए है। बाकी बची जिंदगी भी पत्नी की याद में स्मारक के पास ही गुजार देंगे। वें कहते है कि उनकी पत्नी उर्मिला आज भी जिन्दा है और स्मारक में बैठने के बाद हमे ऐसा एहसास भी होता है। कहा कि जब मैं यहां से बाहर निकल जाता हूं तो हमे कुछ अजीब सा लगने लगता है, जिसे मैं बर्दास्त नही कर पाता हूं और पुनः यही आकर जब बैठ जाता हूं तो फिर से शांति महसूस होने लगता है।