कार्तिक पूर्णिमा पर पुनपुन के उद्गम स्थल पर हुई आदि गंगा की महाआरती

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। टंडवा के दक्षिणी इलाके में कुंडवा पर्वत स्थित पुनपुन नदी के उद्गम स्थल के मिटते अस्तित्व को बचाने, पर्यटन के मानचित्र पर सुस्थापित करने तथा आदि गंगा की गरिमा और महता के प्रचार-प्रसार के उदेश्य से कार्तिक पूर्णिमा पर हर वर्ष आयोजित किया जाने वाले पुनपुन महोत्सव के दौरान इस बार कोरोना काल होने के कारण सोमवार को देर शाम महज रस्म अदायगी करते हुए सिर्फ पुनपुन की महाआरती की गई।

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महाआरती का शुभारंभ पुनपुन महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष अभय वैद्य, सचिव राजेश कुमार अग्रवाल, उपाध्यक्ष राहुल तिवारी, समिति के पदाधिकारियों एवं टंडवा के प्रबुद्ध नागरिकों ने संयुक्त रुप से किया। इस मौके पर समिति के पदाधिकारियों के साथ ही टंडवा के सभी नागरिकों ने पुनपुन के उद्गम स्थल पर एक-एक दीप आदि गंगा को समर्पित किया। साथ ही सभी ने उद्गम स्थल को साक्षी मान कर सामूहिक रूप से पुनपुन नदी के मिटते हुए अस्तित्व को बचाने का संकल्प लिया। कहा कि आदि गंगा पुनपुन नदी हम सब के लिए प्राकृतिक धरोहर है। इसके अस्तित्व की रक्षा करना हम सब का सामूहिक दायित्व है। इस दौरान समिति के अध्यक्ष ने कहा कि पुनपुन नदी का उद्गम स्थल कुंडवा पर्वत टंडवा के दक्षिणी इलाके की पहाड़ियों पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान है। पुनपुन को पुराणों आदि गंगा कहा गया है और इसकी गरिमा और महिमा अपरंपार है। यह नदी अपने आप में अनेक छोटी-बड़ी नदियों को समेटेते हुए पटना के पास फतुहा में गंगा में विलीन हुई है। इसकी गरिमा को बनाए रखने एवं महिमा के प्रचार-प्रसार हेतु ही हर वर्ष टंडवा में पुनपुन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

सरकार को इस पुनपुन की ओर ध्यान देने की जरूरत है। हम सब इस कार्यक्रम के माध्यम से बिहार सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं कि पुनपुन नदी बिहार की 10 बड़ी नदियों में एक है। अभी तक इसे बिहार पर्यटन के मानचित्र में जगह नहीं दी गयी है। हम सब अथक प्रयास करेंगे कि सरकार इस ओर ध्यान दें और पुनपुन नदी को जल जीवन हरियाली मिशन से जोड़कर टंडवा से नबीनगर तक नदी के मिटते हुए अस्तित्व को बचाएं। वही आयोजन समिति के आजीवन सदस्य सत्यनारायण सिंह ने कहा कि पुनपुन हमारे पितरों को तारने वाली तारणहार नदी है। इन्हें हम लोग पुनपुन मैया के नाम से भी जानते हैं। इनके मिटते हुए अस्तित्व को बचा कर रखना हम सब का परम दायित्व एवं कर्तव्य भी है। वही मुख्य प्रायोजक पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के डॉ. रामदेव गुप्ता ने कहा कि जब तक सरकार पुनपुन की रक्षा नहीं करती तबतक हम सब महोत्सव या कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार करते रहेंगे। महाआरती का संचालन स्थानीय ब्राह्मणों द्वारा प्रायोजको के सहयोग से किया गया। इस दौरान पूर्व मुखिया प्रतिनिधि रामजी प्रसाद अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम सोनी, पूर्व सरपंच शीला अग्रवाल, अधिवक्ता सविता अग्रवाल, राजकुमार रजक, रामजीत शर्मा, हरिराम, सुदेश्वर सिंह, संतोष चंद्रवंशी, सुदेश्वर राम, राजकुमार पासवान, अनिल गुप्ता, ब्रज किशोर मिश्रा, रामजी बैद्य, उपेंद्र पांडेय, विनय वैद्य, रामकृष्ण तिवारी, ददन चैधरी एवं अजय मेहता के अलावा सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।