औरंगाबाद में चल रहा खून का खूनी खेल, आशा कार्यकर्ता के पकड़ में आने से हुआ भंडाफोड़

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद में खून का खूनी खेल चल रहा है। इस खेल में एक रैकेट काम कर रहा है, जिसके तार सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक उलझे हुए से जुड़े है। इस खेल का सेंटर प्वाइंट औरंगाबाद जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल यानी सदर अस्पताल है। यही से चलते-फिरते इस नेक्सस का संचालन होता है। इस नेक्सस के नेटवर्क से जुड़े लोग यही पर सक्रिय रहा करते है। इसका खुलासा सदर अस्पताल में भर्ती खून की कमी से जूझ रही एक महादलित महिला के परिजनों से दो यूनिट ब्लड दिलाने के नाम पर एक महावीर नगर की आशा कार्यकर्ता अंजली द्वारा 11 हजार की रकम ऐंठ लेने से हुआ है।

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दरअसल आशा कार्यकर्ता ने सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में चल रहे रक्तदान शिविर में रक्तदाताओं के समक्ष गुहार लगाकर महिला के लिए एक यूनिट ब्लड हासिल कर लिया। महिला को खून चढ़ाया जाने लगा। इस बीच महिला मरीज की भाभी शोभा देवी को किसी तरह से यह जानकारी हो गयी कि आशा ने मृफ्त में ब्लड का इंतजाम कर रकम ऐंठ ली है और दूसरी यूनिट भी इसी तरीके से वह हासिल करने में लगी है। उसने यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग की एक महिला अधिकारी को दी। महिला अधिकारी ने जब संज्ञान लिया तो पूरा मामला परत दर परत खुल गया। मामले के खुलने के बाद इसकी जानकारी ब्लड डोनर सामाजिक संस्था संस्कार भारती के सदस्य सचिन सिंहा को भी हुई और जब उन्हे पता चला कि उनके दान के खून पर खूनी खेल हुआ है तो वें मामलें के तह तक पहुंचने की कोशिश में लग गये। उन्होने आशा कार्यकर्ता अंजली को ढूंढ निकाला। तब जाकर आशा कार्यकर्ता ने स्वीकार किया कि दो यूनिट ब्लड के लिए मरीज के भाई से 11 हजार रुपये लेकर पारस क्लिनिक में भर्ती न कराकर उसे सदर अस्पताल में लाकर भर्ती करा दिया।यहां से वह ब्लड बैंक पहुंची, जहां रक्तदान कर रहे लोगों से महिला की पीड़ा बताई। महिला की पीड़ा सुनकर रक्तदान कर रहे युवक सचिन सिंहा ने अपना ब्लड दान करने के बजाए रिप्लेसमेंट कर दिया। इसके कारण महिला को सदर अस्पताल में एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। आशा कार्यकर्ता ने पैसा वापस करने की भी हामी भरी।
ऐसे होता है खून का खूनी खेल-

गौरतलब है कि सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में सामाजिक संस्थाओं, समाजसेवियों एवं व्यक्तिगत रूप से किसी पर्व त्योहार, पुण्य कार्य पर लोगों द्वारा रक्तदान किया जाता रहता हैं। ब्लड बैंक से प्रतिदिन जिले के विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सक के रिक्युजिशन पर एक डोनेशन के बाद एक यूनिट ब्लड भेजे जाते हैं। ब्लड बैंक में रक्तदान करने वाले लोगों को एक डोनर कार्ड मिलता है और वह उस डोनर कार्ड के आधार पर उसे जमा कर एक यूनिट ब्लड किसी को भी सदर अस्पताल से निःशुल्क दिला सकते हैं। खून का खूनी खेल इसी डोनर कार्ड पर होता है। शहर के निजी नर्सिंग होम वाले या उनके गुर्गें डोनर कार्ड होल्डर्स को इमोशनली ब्लैकमेल कर खून का खूनी खेल जाते है, जिसका पता किसी को नही चलता है।

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शिकायते आम पर कार्रवाई शून्य-

जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित नर्सिंग होम द्वारा ब्लड के नाम पर पैसे लिए जाने का मामला बराबर संज्ञान में आता रहता है। इन मामलों में ठोस सबूतों के आभाव में अब तक न तो किसी पर कोई आपराधिक मामले दर्ज हुआ है और न ही कोई कार्रवाई हुई है। यही वजह है खून का खूनी खेल फल फूल रहा है।https://liveindianews18.in/activists-strongly-welcome-jdus-new-chief-district-spokesperson/


सिविल सर्जन ने किया सावधान, दी नसीहत-

सिविल सर्जन डॉ. अकरम अली ने बताया कि ब्लड बैंक से बिना डोनर के रक्त देने का प्रावधान नही है। एक डोनर पर एक ही यूनिट रक्त दिया जाता है। बाहर रक्त ले जाने के लिए पांच सौ रुपयें प्रोसेसिंग चार्ज लिया जाता है। यदि कोई डोनर किसी को अपना डोनेट किया हुआ रक्त देता है, तो मरीज को सिर्फ प्रोसेसिंग चार्ज देना पड़ता है। सीएस ने बताया कि सदर अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए सिर्फ डोनर की आवश्यकता है, उसके लिए कोई शुल्क नही लिया जाता है। इतना ही नही अस्पताल में किसी गर्भवती महिला का प्रसव के दौरान ऑपरेशन के वक्त खून की जरूरत होती है तो उसें निःशुल्क ब्लड दिया जाता है और कोई शुल्क नही लिया जाता है। कहा कि यदि किसी को ब्लड की जरूरत पड़ती है तो वह सीधा ब्लड बैंक से संपर्क करें। ब्लड बेचे जाने के मामले में कहा कि यदि किसी के द्वारा इसकी शिकायत की जाएगी तो उसपर अवश्य कार्रवाई होगी।