21 साल बाद भी नरसंहार को याद कर सिहर उठते है, मियांपुर वासी

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। बिहार के लिए 16 जून एक काला अध्याय के रूप में माना जाता है। बात बहुत बड़ी है। यह बड़ी घटना मियांपुर नाम के एक छोटे से गांव में हुई थी, जिससे पूरा प्रदेश हिल गया था। मियांपुर-अरवल, गया और औरंगाबाद जिले के बॉर्डर पर है। यहां 21 साल पहले जो हुआ, उसे याद कर आज भी लोगों की रूह सिहर उठती है। मियांपुर, गोह प्रखंड में उपहारा थाना का एक छोटा सा गांव है।

16 जून 2000 को यह गांव वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में तब आया था, जब यहां 34 निर्दोषों की हत्या बैलेंस ऑफ टेरर की धारणा को मानते हुए किया गया था। हथियारबंद दस्ते ने गांव पर चढ़ाई कर पिछड़े और अतिपिछड़े तबके के पुरूष, महिलाओं समेत बच्चों को भून डाला था। खैर नरसंहार कोइ भी हो, किसी गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया हो, सबसे अधिक पीड़ित महिलाएं ही होती हैं। यहां 20 स्त्री और 14 पुरुष मारे गए थे। स्त्री रोज मरती हैं, तिल-तिल कर मरती है। चाहे उसका कोई भी पुरुष रिश्तेदार मारा गया हो। उसकी पीड़ा आजीवन होती है। इस नरसंहार का प्रतिनिधि चेहरा है, देवमतिया कुंवर। उसकी बायीं गाल में नरसंहार के वक्त गोली लगी थी। पहली गोली से वह बच गई थी। दूसरी गोली ने उसके हाथ की एक उंगली काट दी और गाल में छेद कर गयी। यह छेद आज भी कायम है और उससे उसका भोजन पानी रिसता है, जिसे लोग प्रायः मवाद समझ जाते हैं।

नरसंहार में सीता कुवंर का बेटा मारा गया था। उसके पति मोती लाल यादव पुत्र के शोक में बीमार पड़ गए और अंततः उनकी जान चली गई। नयी नयी पुतोह आयी थी, वह किसके सहारे रहती, एक और छोटा बेटा रहता तो रह जाती। अंततः मायका चली गयी। वही गांव के आंधी सिंह यादव के भाई समेत चार सगे-संबंधी नरसंहार में मारे गए थे। उस वक्त वे सरकारी सेवा में रहने के कारण गांव में नही थे। शायद रहते तो वे भी मारे जाते। वें नरसंहार पर बात करते ही भड़क उठते है। कहते है कि हमको अपनों ने लूटा, उस वक्त सरकार हमारी थी और जितने वादे किए गए, उसे पूरा नहीं किया गया। सड़क तक नहीं बनाई गई। जिस सड़क के किनारे बैठे हैं, वह सड़क उनके प्रयास से अभी हाल में ही बनायी गयी है। उनका कहना था कि एक सड़क को ठेकेदारों ने गांव नहीं पहुंचने दिया तो दूसरी सड़क की दिशा बदल दी गई। दोनों ही सड़कें मियांपुर नहीं पहुंची। गोह के एक स्वजातीय नेता से उनको शिकायत है। कहा कि लालू यादव को उस नेता ने ठगा। किया कुछ नही और उनको बताया कि मियांपुर में सब हो गया।