गम पर फर्ज पड़ा भारी
कौशल
मंदिर में भगवान को किसी ने नहीं देखा है पर मुरत सबने देखी है। जब संकट की घड़ी आती है तो लोग मन्नतें मांगते हैं, इबादत करते हैं कि जीवन निरोग रहें। लेकिन इस कोरोना काल में ये भगवान सचमुच धरती पर मानव रूप में साक्षात दिखाई दिए। बात धरती के दूजे भगवान चिकित्सकों की है जिन्होंने अपनी और अपने परिवार की चिन्ता छोड़ कर सैकड़ों कोरोना मरीजों की जान बचाई और लोगों को निरोगी जीवन दिया। आज एक ऐसे ही धरती के साक्षात दूजे भगवान की बात बता रहा हूं, जिन्होने द्वारा कोरोना काल में निजी जिन्दगी के बहुत बड़े आघात के बावजूद अपने कर्तव्य से विमुख न होते हुए आम आवाम के लिए खुद को झोक दिया और अपने निजी अस्पताल को भी कोरोना अस्पताल में परिवर्तित करते हुए सैकड़ों लोगों को नई जिन्दगी दी।
बात पटना के वरिष्ठ चिकित्सक किडनी एवं मुत्र रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर राजेश रंजन की है। अपने अस्पताल सत्यदेव सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटना में किडनी और मुत्र रोग से ग्रसित मरीजों को दवा एवं शल्यक्रिया से कम रुपयों में चंगा करने वाले डाॅक्टर रंजन ने कोरोना काल में भी मरीजों के लिए अपना श्रेष्ठ देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और सैकड़ों लोगों की जिन्दगी बचाई।
हांलाकि इस दौरान उनकी माता जी का इंतकाल भी हो गया लेकिन सामाजिक रीति रिवाज निभाने के बाद मां के जाने का गम दिल में दबाए फौरन कोरोना मरीजों के इलाज में जुट गए। बिहार वासियों को किसी तरह की परेशानी न हो, लोगों को इलाज से संबंधित सही जानकारी मिल सके, इसके लिए अपना मोबाइल नम्बर जारी किया और अपने अस्पताल को भी कोरोना मरीजों के लिए खोले रखा जो आज तक चल रहा है। मां के निधन के बावजूद हौसला उंचा रखते हुए अपने फर्ज पर अडिग डाॅक्टर राजेश रंजन ने फोन पर बताया कि मां हमेशा यही चाहती थी कि मैं अपने फर्ज से कभी पीछे नहीं रहूं। आज उनका शरीर भले ही मेरे साथ नहीं है लेकिन उनका आशीर्वाद और प्रेरणा सदैव मेरे साथ है।
कहा कि मां पिता जी का आशीर्वाद और अपने शुभेच्छु ही मेरी थाती है। थाती को संजोकर रखते हुए जितना बन पड़ेगा फर्ज निभाता रहूंगा। जिस समय कोरोना से ग्रसित होकर जिन्दगियां तड़प रही थी, लोग घरों में कैद होकर बेबस, लाचार तमाशबीन थे। ऐसे में अपनी मां के जाने का गम सीने में लिए अपने और अपनो की चिन्ता छोड़ कर फर्ज को प्राथमिकता देने वाले डाॅक्टर राजेश रंजन की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। किसी ने कोरोना वारियर्स कहा तो किसी ने बिहार की शान और ईश्वर का दूजा रूप। डाॅक्टर का धर्म ही मरीजों की जिंदगी बचाना है और इस महामारी में जिन्दगी बचाने वाले खुद की जिंदगी बचाने के लिए घरों में कैद हो गए, ऐसे सैकड़ों उदाहरण है, उनके लिए ये प्रेरणा है।