औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। प्रत्येक व्यक्ति एक एक पेड़ लगायें, वसुंधरा को हरा भरा बनायें। ये पंक्तियां देश की जानी मानी कवयित्री अलका पांडेय(मुम्बई) ने शनिवार को देर शाम विश्व पर्यावरण दिवस पर साहित्यकुंज द्वारा आयोजित ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये कही।
कवि सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि साहित्यकार एवं श्री सीमेंट के महाप्रबंधक ज्ञानेन्द्र मोहन खरे ने कहा कि वायु एवं जल का संरक्षण जीवन के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि पर्यावरण वास्तव में जीवन का सुरक्षा चक्र है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरीय साहित्यकार प्रभात वर्मा ने कहा कि कोरोना काल ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को हमलोगों को बखुबी समझा दिया है। पर्यावरण के बिना जीवन अकल्पनीय है। उन्होनें अपनी रचना की इन पक्तियों-‘पर्यावरण के हाल हे बेहाल, जिंदगी जीना अब हे मुहाल‘ के माध्यम पर्यावरण संरंक्षण पर बल दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पर्यावरणविद अमिताभ सिंह ने भी पर्यावरण की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। आगत अतिथियों का स्वागत साहित्य कुंज के प्रधान महासचिव अरविन्द अकेला ने किया।
कार्यक्रम के सुत्रधार श्रीराम राय के निर्देशन, नवोदित कवयित्री करिश्मा सिंह एवं नागेन्द्र दूबे केशरी के कुशल संचालन में संपन्न अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के दुर्ग के खेमराज साहू राजन, औरंगाबाद की करिश्मा सिंह, वाराणसी की सविता मिश्रा, राजस्थान के धौलपुर के लक्ष्मीनारायण कुशवाहा समदर्शी, रायबरेली की गीता पांडेय अपराजिता, केवरा की नीलम डिमरी, मप्र. के छतरपुर के लखन लाल सोनी लखन, अलीगढ की ललिता कुमारी वर्मा अविरल, निर्मल जैन नीर, अहमदाबाद के डॉ. गुलाब चंद पटेल, मध्यप्रदेश के बालाघाट के सनुक लाल यादव, राजस्थान के बाड़मेर के जीताराम मकवाना, झालावाड़ की डाॅ. वत्सला, औरंगाबाद के विजय कुमार, मीना जैन दुष्यंत, हसपुरा के जितेन्द्र कुमार चंचल, सिवान के गोपाल मिश्र, उत्तराखंड के रुद्रपुर की शालिनी श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश के बहराइच के रईस सिद्दिकी बहराइची, गाजीपुर के सुरेन्द्र नाथ सिंह, कूचबिहार की सीता देवी राठी, हैदराबाद की रमा बहेड, प्रयागराज की अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी, पूजा नबीरा, रशीद अकेला, औरंगाबाद की सुषमा सिंह, छत्तीसगढ के सुनीलदत्त मिश्र, गाजियाबाद के कुलदीप बरतरिया, महोबा के अशोक कुमार शुक्ला, दिल्ली की अर्चना अनुप्रिया, असम के गोलाघाट की रंजना बिनानी काव्या, कूचबिहार की कलावती कर्वा, दिल्ली की आरती तिवारी सनत, जयपुर की स्वाति जैसलमेरिया, मधु भूतड़ा, जोधपुर की मधु मान्या, मध्यप्रदेश के सागर की प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान, पवई के प्रेमशंकर प्रेमी, हापुड़-पिलखुवा की शहाना सैफी, सागर के वृंदावन राय सरल, हरिद्वार के भारती जोशी एवं अहमदाबाद के चंद्रप्रकाश गुप्त चंद्र ने अपनी अपनी रचनाओं के माध्यम से वातावरण को काव्यमय बनाया एवं लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में सोचने पर मजबुर किया। कार्यक्रम के अंत में सभी रचनाकारों को साहित्य कुंज के कार्यकारी अध्यक्ष श्रीराम राय द्वारा प्रत्येक सहभागी को वृक्ष मित्र सम्मान से सम्मानित किया गया।