राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के घर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करे सरकार : राकेश सिंहा

पटना(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। राज्यसभा के सदस्य राकेश सिंहा ने केंद्र सरकार से राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के घर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की है। इस मांग के साथ ही सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहरों और विरासतों को सहेजने का मुद्दा व्यापक चर्चा का विषय बन गया है।

श्री सिन्हा ने राज्यसभा संचालन नियमावली की धारा 180(क) के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व के विषय(विशेष उल्लेख) के तहत सदन में सभापति वेंकैया नायडू के माध्यम से भारत सरकार के कला और संस्कृति मंत्रालय से बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव स्थित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली को राष्ट्रीय धरोहर और राष्ट्रीय संग्रहालय घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि श्रेष्ठ साहित्यकार अपनी कालजयी रचनाओं से समाज को प्रगतिशील बनाता है।

वह वर्तमान ही नहीं भविष्य की पीढ़ियों को प्रभावित और प्रेरित करता है। उन्होने आसन को संबोधित करते हुए कहा कि चाहे ब्रिटेन के शेक्सपीयर हो या रूस के एलेक्जेंडर पुश्किन, लैटिन अमेरिका के गैब्रियल गार्सिया मार्केज या फिर भारत के रामधारी सिंह दिनकर, सभी ने अपनी प्रभावी रचनाओं के कारण काल और भूगोल की सीमाओं को लांघ लिया है।

कहा कि दिनकर की रचनाओं में व्यापक मानवीय मूल्यों को समाहित किया गया है। उनकी लेखनी ने न केवल साहित्य को समृद्ध किया है बल्कि सामाजिक चेतना और सार्वभौमिक नैतिकता के भाव को जागृत करने का काम किया है। उनकी कृतियां रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा और संस्कृति का चार अध्याय राष्ट्रीय साहित्य के साथ-साथ विश्व साहित्य का भी हिस्सा है। गौरतलब है कि रामधारी सिंह दिनकर को 1959 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनका व्यक्तित्व समानता, समरसता और जनपक्षधरता का प्रतीक है। दिनकर का राज्यसभा में मनोनयन साहित्य में उनके योगदान और राष्ट्र के निर्माण में उनके साहित्य के योगदान को प्रतिबिंबित करता है। रामधारी सिंह दिनकर सरीखे महान व्यक्तित्व और साहित्यकार की स्मृति को सहेजकर रखना सरकार और समाज दोनों का स्वाभाविक दायित्व होता है।

बिहार के महान विभूति रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के बेगुसराय जिले के सिमरिया में हुआ था। उनके जन्मस्थल को देखने सैंकड़ों लोग हरेक दिन जाते हैं और खासकर युवा वर्ग प्रेरित होता है जबकि बुजुर्ग लोग उनकी कीर्तियों पर गर्व करते हैं। रामधारी सिंह दिनकर सरीखे साहित्यकार के विरासत को संभाल कर रखने से देश की संपदा समृद्ध होगी। अब तक दिनकर के परिवार और गांव के लोगों ने उनकी विरासत और उनके घर को संभालकर रखा है किन्तु ऐसे विभूति की विरासत को संभालना सरकार और समाज का परम कर्तव्य होना चाहिए।

दिनकर का वैसे कवियों में शुमार हैं जो युवाओं में जोश भरकर लक्ष्य की ओर प्रेरित कर कामयाबी की शिखर को छुने में मदद किया है। उनकी प्रसिद्ध कविता है-“चैन कहां उनको, जो धुन के मतवाले। गति की तृषा और बढ़ती, जब पग में पड़ते छाले।“ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का सम्मान और उनकी विरासतों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाना साहित्य, साहित्यकार और समाज तीनों के प्रति सम्मान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों को उत्साहवर्धन करने वाला साबित होगा। यह साहित्य, कला, संस्कृति के प्रति सरोकार और संवेदनशीलता का भी परिचायक होगा।

भारत के संविधान के भाग-4 में राज्य के नीति निदेशक तत्व के तहत अनुच्छेद-49 में सरकारों को यह दायित्व दिया गया है कि स्मारकों तथा राष्ट्रीय महत्व के स्थानों एवं वस्तुओं का संरक्षण करे। इसके साथ संविधान के भाग-4(क) में मूल कर्तव्य के अंतर्गत अनुच्छेद-51(क) में भारत का संविधान भारत के नागरिकों को कर्तव्य के संपादन का दायित्व भी देता है। इसके तहत कहा गया है कि देश के नागरिकों का कर्तव्य होगा कि ‘हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परिरक्षण करें।‘

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