मदनपुर(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। मदनपुर प्रखंड के नोनियाडीह में माता शबरी सत्संग समिति के तत्वावधान में माता शबरी की जयंती मनाई गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन समिति के संरक्षक दयानंद रिकियासन, दिलीप प्रसाद गुप्ता तथा जितेंद्र कुमार रिकीयासन ने रामचरितमानस की पूजा-अर्चना तथा आरती मंगल कर किया। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के पूर्व प्रदेश प्रमुख जितेंद्र सिंह, रामनवमी महासमिति के जय शंकर शर्मा तथा विश्व हिंदू परिषद गौरक्षा के प्रखंड प्रमुख राणा एवं आशुतोष कुमार सिंह ने श्रीरामचरितमानस पर पुष्पांजलि के साथ श्रीराम नाम संकीर्तन कराया। शबरी माता की जयंती पर प्रकाश डालते हुए जय शंकर शर्मा ने शबरी माता को भगवान श्रीराम की भक्ति की जीवंत मूर्ति बताया। कहा कि शबरी किसी जाति विशेष की नहीं बल्कि आध्यात्मिक जगत में निश्छल भक्ति करने वालों की अधिष्ठात्री देवी हैं। राणा आशुतोष कुमार सिंह ने शबरी माता की जयंती में स्वयं की उपस्थिति को भगवान श्रीराम की कृपा का प्रतिफल बताया। कहा कि माता शबरी भील समाज की कन्या होकर भी अपने समाज की कुरीतियों तथा पशु बलि की घोर विरोधी थी। यही कारण था कि विसंगतियों का परित्याग कर अपना संपूर्ण जीवन ऋषि परंपराओं में समर्पित कर सर्वस्व भक्ति मार्ग में न्योछावर कर दिया। इसीलिए माता शबरी को भक्ति की देवी भी कहा जाता है। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के पूर्व प्रदेश प्रमुख जितेंद्र सिंह ने कहा कि काल गणना के अनुसार आज से लगभग अठारह लाख वर्ष पूर्व त्रेता के जिस कालखंड में भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ है, उसी काल में रामकथा गाथा पर आधारित समस्त शास्त्रों में माता शबरी के अस्तित्व का प्रमाण भी मिलता है। रामायण के विभिन्न संस्करणों में उल्लेखित है कि भगवान श्रीराम माता जानकी की खोज में जब दंडकारण्य पहुंचे तो उसी क्रम में ऋषिश्रेष्ठ मतंग ऋषि के आश्रम पहुंचे और यही माता शबरी का भगवान श्रीराम से साक्षात्कार हुआ। जहां माता शबरी ने भक्ति विभोर होकर जंगली बेर के स्वाद परीक्षण के निमित्त स्वयं प्रत्येक बेर को खाती रही और जो मीठे थे, उसे भगवान को अर्पित करती रही।
भक्तवत्सल भगवान उस जूठे बेर को अमृत तुल्य मानकर सहजतापूर्वक स्वीकार किया और शबरी को मुक्ति का वरदान दिया। इसी स्थान पर भगवान श्रीराम से माता शबरी ने नवधा भक्ति का सूत्र सिद्धांत भी ग्रहण किया। किंतु रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने माता शबरी को साक्षात नवधा भक्ति बताया है। श्री सिंह ने कहा कि भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में सप्तमी तिथि को भगवान श्रीराम और शबरी माता का साक्षात्कार हुआ था। मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि को शबरी माता की जयंती के रूप में मान्यता मिली और संपूर्ण आध्यात्मिक जगत में माता शबरी भक्ति की भगवती के रूप में पूजित है। कार्यक्रम में हिमांशु कुमार, दुधेश्वर शर्मा, रंजीत कुमार, सुरेश यादव, हरेराम रिकियासन, दिलकेश्वर भूईयां, राहुल कुमार, मनीष कुमार, रिकियासन, विशाल रिकियासन, बिंदेश्वर भुईंया, धनंजय भुईयां, वीरेंद्र भुईंयां, लालदेव भुईयां, सत्येंद्र राम, विकास रिकियासन, मोती भुइयां सहित क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।