बायोफ्लोग एक्वाकल्चर परियोजना से मिल रहा है लोगो को रोजगार
मदनपुर(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज18 ब्यूरो)। मदनपुर के अति संवेदनशील व नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जुडाही में आर एल पी बायोफ्लोग एक्वाकल्चर परियोजना का उद्घाटन से एक ओर जहां लाॅकडाउन से रोजगार छीन गया था वहीं इस परियोजना से सैकडों लोगो का स्वरोजगार का मिल रहा है। यहां के लोग अब आंध्र और बंगाल की मच्छली से गुरेज करेगें और जुडाही में उत्पादित ही मच्छली ही खरीद सकेंगे।
मच्छली उत्पादन के क्षेत्र में मदनपुर ही नहीं बिहार आत्मनिर्भर होगा। उक्त बातें सदर एसडीपीओ अनूप कुमार और पूर्व प्रमुख अरुण कुमार ने लोगो को संबोधन करते हुए कही। उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्म निर्भर भारत सकार हो रहा है। औरंगाबाद जिले के एक बायोफ्लोग एक्वाकल्चर युनिट मिशाल बनेगा। यहां से मच्छली बडे पैमाने पर उत्पादन होगा तो लोग बाहर की मच्छली क्यो खरीदेगें।
परियोजना के मुख्य व्यवस्थापक अधिवक्ता रविन्द्र कुमार सिन्हा ने बताया कि उनके एक बेटा दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत छोड़ बायोफ्लोग एक्वाकल्चर के तहत मच्छली उत्पादन के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर आत्मनिर्भर भारत को सकार कर रहा है।
लाॅकडाउन से बेरोजगार लोगो को रोजगार से जोडा जा रहा है।15हजार लीटर वाला क्षमता का एक प्लास्टिक में 8-10 क्विंटल मच्छली तीन माह में उत्पादन होगा।इस तरह आठ टैंक निर्माण किया गया है।चार तालाब का भी निर्माण किया गया है जिसमें भी मच्छली डाला गया है। अभी मांगुर और बचवा मच्छली उत्पादन हो रहा है।जिसकी मांग बाजार में सर्वाधिक है।
मच्छली से प्रति वर्ष एक करोड रुपये की हो सकता है आमदनी मोहित कुमार सहाय और मयंक कुमार सहाय ने बताया कि प्रति वर्ष एक करोड रुपये की आय करने का लक्ष्य है। मच्छली जैविक रुप से तैयार हो रहा है।तीन माह से कम समय में मच्छली एक से दो किलो का तैयार हो जाता है।मच्छली पौष्टिकता से परिपूर्ण होगा।
टैंकों में आधुनिक रुप से तैयार किए जा रहे हैं मच्छली
मच्छली के वातावरण अनुकूलित ग्रीन पोली में आधुनिक मशीन लगाए गये हैं।आक्सीजन मशीन लगाए गये हैं ताकि मच्छली को आवश्यकता अनुकुल ऑक्सीजन मिल सके। पौष्टिक आहार दिया जाता है। इस अवसर पर ब्रजकिशोर सिन्हा, अशोक सिन्हा, नागेन्द्र सिन्हा, प्रबंधक कृष्णा यादव, सुरेश महतो, रमेश कुमार और अर्जुन सिंह, बलिकराज सिंह, दिलीप कुमार थे।