Bihar News : फौजी से उप मुखिया बने धनंजय लड़ रहे सरगावां पैक्स से अध्यक्ष का चुनाव, कहा-किसानों ने उप मुखिया बनाया तो पैक्स अध्यक्ष भी बनाएंगे

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। सेना से रिटायर होने के बाद एक फौजी समाज की सेवा में लगा है। यह फौजी न केवल खेती-किसानी में लगा है बल्कि किसानों के हित की भी सोंच रहा है।

इस फौजी की अच्छी-खासी सामाजिक पकड़ भी है, जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गांव के लोगों ने न केवल उन्हे लोकतांत्रिक संस्था ग्राम पंचायत के सबसे छोटे जन प्रतिनिधि यानी वार्ड सदस्य के पद पर बिठाया बल्कि पंचायत के और वार्ड सदस्यों के सहयोग से आज वें अपने पंचायत के उप मुखिया भी है। उप मुखिया के रूप में उनके कार्यों से प्रभावित होकर पंचायत के ग्रामीणों के आग्रह पर वें किसानों की सेवा करने के लिए पैक्स अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे है। जी हां हम बात कर रहे है औरंगाबाद के देव प्रखंड में सरगावां पैक्स से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रूप में चुनाव मैंदान में उतरे रिटायर्ड फौजी धनंजय सिंह की। धनंजय चुनाव मैंदान में निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष को कड़ी टक्कर दे रहे है और वोटर किसान भी उनका भरपूर साथ दे रहे है।

धनंजय सिंह ने बताया कि सरगावां पंचायत का इलाका कृषि प्रधान क्षेत्र है। इलाके के ज्यादातर लोगों की आजीविका खेती-किसानी से ही जुड़ी है। सेना से रिटायर होने के बाद वह भी खेती-किसानी ही करते है। इसी बीच जब पंचायत चुनाव आया तो गांव के लोगों ने कहा कि तुम किसान के बेटे हो, रिटायर्ड फौजी भी हो, तुम जैसे पढ़े-लिखे और देश की सेवा करने वाले लोगों को समाज की भी सेवा करनी चाहिए। पंचायत चुनाव छोटे पैमाने पर समाज की सेवा करने का माध्यम है। इसलिए पंचायत चुनाव लड़ों। गांव वालो की बात पर मैंने वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ा। जीत भी गया। जीत के बाद पंचायत के सभी वार्ड सदस्यों के बीच से एक वार्ड सदस्य चुनने की बारी आई। सभी वार्ड सदस्यों ने मिल कर मुझे यह कहते हुए उप मुखिया चुन दिया कि फौजी से बढ़िया उप मुखिया का काम कौन करेगा। मैं उप मुखिया के रूप में काम करने लगा। इस दौरान मैं किसानों की खाद-बीज नही मिलने और धान की खरीद नही होने की समस्या से भी रूबरु हुआ। उप मुखिया होने के बावजूद मैं किसानों की इस समस्या को दूर नही कर पा रहा था क्योकि यह काम मेरे क्षेत्राधिकार से बाहर पैक्स अध्यक्ष के जिम्में था और अध्यक्ष मनमानी कर रहे थे। किसान उनकी मनमानी से क्षुब्ध थे। लिहाजा पैक्स अध्यक्ष का चुनाव नजदीक आते ही किसानों को मुझमें कुछ उम्मीद दिखी कि जब यह इंसान उप मुखिया के रूप में अच्छा काम कर रहा है तो यह अध्यक्ष बनेगा तो पैक्स का काम भी बढ़िया से करेगा। किसानों ने मुझसे पैक्स अध्यक्ष का चुनाव लड़ने को कहा। अब किसानों के आदेश-निर्देश पर ही सरगावां पैक्स से अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहा हूं। चंद दिनों बाद वोटिंग होनी है और मुझे पूरी उम्मीद है कि जिस तरह किसानों ने मुझे अपना उम्मीदवार बनाया है, उसी तरह वें मुझे वोट का आर्शीवाद देकर चुनाव भी जितवाएंगे।

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