- स्थायी अंधेपन से बचाव व जागरुकता के लिए वर्ल्ड प्री मैच्युरिटी डे 17 नवंबर
पटना। रेटिनोपैथी आफ प्री मैच्युरिटी से बचने के लिए हर साल 17 नवंबर को मनाये जानेवाले प्री मैच्युरिटी डे के मौके पर सगुना मोड़ के समीप डी एस बिजनेस पार्क स्थित दृष्टिकुंज नेत्रालय की निदेशक डा. निम्मी रानी ने कहा कि प्री मैच्योर बच्चे के जन्म की खुशियां मनाने से पूर्व रेटिना विशेषज्ञ से सलाह आवश्यक है।
समय से पहले जन्मे बच्चे के 4 से 6 सप्ताह के भीतर किए गए त्वरित निदान से रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (आरओपी) का पता लगाया जा सकता है, जो एक ऐसी स्थिति है जो अनुपचारित रहने पर स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती है। हालांकि, देश में इस स्थिति के बारे में लोगों में बहुत कम जागरूकता है। “अतीत में, समय से पहले जन्मे बच्चे इसलिए मर जाते थे क्योंकि हमारे पास उचित चिकित्सा सुविधाएं या नीकू नहीं थे।
आजकल चिकित्सा प्रगति के साथ समय से पहले जन्मे, कम वज़न वाले बच्चों को भी सफलतापूर्वक बचाया जा रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसे “अनमोल बच्चे” समय से पहले जन्म लेने वाले रेटिनोपैथी की संभावित अंधा करने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए ऐसे बच्चों की तत्काल आँखों की जाँच के बारे में जागरूकता की कमी के कारण अंधे हो जाते हैं”।
बाल रोग विशेषज्ञ डा रणधीर झा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा “2 किलोग्राम से कम वज़न वाले या गर्भावस्था के 34 सप्ताह से कम समय में पैदा हुए बच्चों में आर ओ पी विकसित होने की सबसे अधिक आशंका होती है। इसके अलावा, कोई भी समय से पहले जन्मा बच्चा जिसमें संक्रमण, सांस लेने में तकलीफ़ जैसी नवजात जटिलताएं विकसित होती हैं, जिसके लिए ऑक्सीजन सहायता, नीकु सहायता या रक्त आधान की आवश्यकता होती है, वह भी असुरक्षित है।”
वरिष्ठ विट्रोरेटिनल कंसल्टेंट डॉ. निशांत कुमार कहते हैं “हर समय से पहले जन्मे बच्चे को जन्म के 30 दिनों के भीतर रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (आरओपी) से बचने के लिए प्रशिक्षित नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए। समय पर निदान और हस्तक्षेप इस भयावह, संभावित रूप से अंधेपन की स्थिति से लड़ने की कुंजी है। एक बार निदान हो जाने पर इसका इलाज लेजर, इंट्राविट्रियल इंजेक्शन और उन्नत मामलों में विट्रोरेटिनल सर्जरी से किया जा सकता है।”
डॉ. निम्मी रानी ने सचेत करते हुए कहा कि “नवजात शिशु के आगमन के जश्न को अभी और इंतज़ार करने दें! उससे पहले बच्चे की दृष्टि की सुरक्षा सुनिश्चित करें, बिना देरी किए समय पर और तत्काल नेत्र परामर्श आपके बच्चे को अंधेपन के खतरे से बचाएगा।”