औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। औरंगाबाद शहर के नगर भवन में सोमवार को जदयू द्वारा जन संवाद यात्रा कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में जदयू के मुख्य प्रवक्ता विधान पार्षद संजय सिंह, पूर्व सांसद मीना सिंह, बिहार राज्य नागरिक परिषद के पूर्व सदस्य छोटे सिंह समेत कई नेता उपस्थित रहे। कार्यक्रम तो जन संवाद का था लेकिन यहां जातीय संवाद ही हुआ। कार्यक्रम में सिर्फ और सिर्फ राजपूतों का बखान मंच से होता रहा। एक तरफ मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार दलित, महादलित, पिछ्ड़े, अति पिछ्ड़े एवं अल्पसंख्यकों के उत्थान की बात करते है, वहीं उनके द्वारा जन संवाद यात्रा में भेजे गए उनकी ही पार्टी के लोगो ने औरंगाबाद आकर सिर्फ और सिर्फ राजपूतो का बखान करना किया। जितने भी वक्ता थे सभी ने अपने संबोधन में राजपूत वर्ग को एकजुट होने की बातें कही।
वरीय नेताओं ने यह भी कहा कि हम राजपूत पूरे बिहार में 8 प्रतिशत है लेकिन 18 प्रतिशत की ताकत रखते है। छोटे सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि हम ही प्रधानमंत्री बनाते है और हम राजपूत ही मुख्यमंत्री बनाते है। उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाले राजनाथ सिंह राजपूत ही थे। राजनाथ सिंह ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया लेकिन उस राजपूत राजनाथ सिंह को दूध की मख्खी के तरह निकाल कर तीसरे नम्बर के पाचदान पर फेंक दिया गया है। इसलिए भाजपा से राजपूतो को सावधान हो जाना चाहिए। आनेवाले दिन में मोदी राजनाथ सिंह को भी आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तरह सदा के लिये निकाल कर मार्गदर्शक मंडल में फेंक देंगे।
कार्यक्रम की समाप्ति के बाद जब मीडिया ने विधान पार्षद संजय सिंह से पूछा कि यह जन संवाद यात्रा है कि जातीय संवाद यात्रा। इस पर वह मीडिया को ही समझाने लगे कि जनसंपर्क यानी अपने समाज के लोगो से संपर्क करना और अपने समाज के व्यक्ति का मोबाइल नंबर लेना। यह हमारे सूबे के मुखिया नीतीश कुमार के आदेश पर आयोजित है। उन्होने जन संवाद यात्रा के दौरान अपने ही समाज के लोगो से मिलने की बात कही है और पूरे बिहार में मुख्यमंत्री के द्वारा जदयू के राजपूत नेताओं की तीन यूनिट बनाकर अपने समाज के लोगो से मिलने के लिए भेजा गया है। हमारी टीम को 14 जिला में जन संवाद यात्रा के तहत अपने समाज के लोगो से मिलने का निर्देश था, जिसमे अंतिम जिला औरंगाबाद ही है। ऐसे में लाख टके का सवाल है कि यह मुख्यमंत्री के द्वारा कैसी जन संवाद यात्रा कराई जा रही है जिसमे केवल एक ही समुदाय के लोगों को आमंत्रित कर गोलबंद होने की बात कही जा रही है। ऐसे में यह यात्रा आगे क्या राजनीतिक रंग दिखाएंगी, वह देखने लायक होगी।