कल तक उम्मीदवारी का दम भर रहे थे कई बड़े नाम, आयोग ने फेर दिया उम्मीदों पर पानी, अब चुनावी रेस के घोड़ो पर खेल रहे दांव 

औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। नगरपालिका चुनाव-2022 की घोषणा के पहले औरंगाबाद शहर में नगर परिषद के मुख्य और उप मुख्य पार्षद पद का चुनाव लड़ने के लिए कई बड़े नाम उम्मीदवारी का दम भर रहे थे। शहर ऐसे दमदार उम्मीदवारों के पोस्टरो से अटा पड़ा था। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के महीनों पहले से ऐसे दमदार उम्मीदवारों का जनसंपर्क भी जारी था।

शहर के गली-मुहल्लों में वोटो की गोटियां फिट की जा रही थी। वोटरो से वोट का आश्वासन भी मिल रहा था। चुनावी गणित के जोड़, घटाव, गुणा, भाग कर ऐसे दमदार उम्मीदवार अपनी जीत पक्का होना मान रहे थे। इन्हे बस इंतजार था, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा का। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी हुई लेकिन आयोग ने ऐसा धोबी पाट दाव मारा कि शहर के सारे बड़े नाम चारों खाने चित हो गये। इनके चितौड़गढ़ का महाराणा यानी मुख्य और उप मुख्य पार्षद बनने का ख्वाब टूट गया। लिहाजा ऐसे दमदार उम्मीदवारों ने शहर में लगे अपने पोस्टर हटवा दिएं। अब इन दमदार महाराणाओं का हाल यह हो गया है कि अपनी हनक और सम्मान बचाने के लिए चुनावी राजनीति की शतरंजी बिसात पर रेस के दूसरे घोड़ों पर दांव खेलना पड़ रहा है ताकि इन घोड़ो के जीतने पर यह कह सके कि वें किंग नही तो किंग मेकर है और किंग पिन तो उन्ही के हाथ में है। किंग पिन का रिमोट जिस तरह से वें दबाएंगे, नगर परिषद की सत्ता उसी अनुसार घुमेगी।

तो अब खेल किंग बनने के बदले किंग मेकर से लेकर किंग पिन तक पहुंच चुका है। ऐसे में अब ये किंग मेकर किंग बनने के बजाय दूसरे को किंग बनाने के जुगाड़ में लगे है। अब यह भी देखना होगा कि किस किंग मेकर का किंग बनता है और किसका नही। फिलहाल तो नामांकन चल रहा है और उम्मीदवार नामजदगी का पर्चा दाखिल करने में लगे है। गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने औरंगाबाद नगर परिषद के मुख्य और उप मुख्य पार्षद के पद को पिछड़ा वर्ग अन्य के लिए आरक्षित कर दिया है। हालांकि इसके पहले दमदार उम्मीदवार यह मानकर चल रहे थे कि दोनों में से एक पद मुख्य नही तो उप मुख्य पार्षद का पद जरूर अनारक्षित रहेगा लेकिन आयोग ने दोनों ही पदों को आरक्षित कर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उप मुख्य पार्षद के पद को अनारक्षित मानकर चल रहे बड़े चेहरे व दमदार उम्मीदवारों में रेडक्रॉस के चेयरमैन व पूर्व उप मुख्य पार्षद शोभा सिंह के पति सतीश कुमार सिंह, भाजपा के मजबूत नेता अनिल सिंह एवं नगर परिषद की पूर्व मुख्य पार्षद शोभा सिंह के पति कांग्रेस नेता चुलबुल सिंह जैसे कई नाम थे, पर इनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अगर आयोग ने आरक्षण रोस्टर में बदलाव नहीं किया होता तो ये सभी औरंगाबाद नगर परिषद के उपाध्यक्ष पद के सवर्ण चेहरे थे पर अब नहीं है। अब ये बड़े सवर्ण चेहरे चुनाव में दूसरे वर्ण से उम्मीदवार बने चेहरों के लिए वोट मांगते जरूर नजर आ सकते है।