औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। समाहरणालय सभागार में शुक्रवार को जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने नहर प्रमंडल के सभी अभियंताओं के कार्य की समीक्षा की।
बैठक में बिजली विभाग के अभियंता एवं कृषि विभाग के सभी पदाधिकारी भी शामिल थे। जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि जिले में औसत रोपनी 58 प्रतिशत है। कुछ प्रखंडों में यह 90 प्रतिशत से अधिक है जबकि कुछ में 10 प्रतिशत से भी कम है। सोन नहर प्रमंडल के अभियंताओं द्वारा बताया गया कि सोन नहर प्रणाली में वर्तमान में क्षमता के अनुरूप पानी मिल रहा है। जिसके कारण जिला अन्तर्गत बारूण, ओबरा, दाउदनगर, हसुपरा एवं औरंगाबाद के कुछ पंचायतों जो सोन नहर से सिचिंत है में लक्ष्य के अनुरूप आच्छादन लगभग 90-95 प्रतिशत हुआ है। वर्तमान में 4660 क्यूसेक पानी औरंगाबाद में प्रवेश कर रहा है जो क्षमता के अनुरूप है। ओबरा में रोपनी 95 प्रतिशत हुई है, बारुण में 96 प्रतिशतहुई है, दाउदनगर में 99 प्रतिशतहुई है, हसपुरा के 70 प्रतिशत रोपनी हुई है, गोह में 55 प्रतिशत तथा रफीगंज में 44 प्रतिशत रोपनी हुई है। औरंगाबाद प्रखण्ड का कुछ हिस्सा भी सोन नहर प्रणाली से आच्छादित है जिसके कारण वहां 61 प्रतिशत रोपनी हुई है। उत्तरी कोयल नहर प्रणाली के अभियंताओं द्वारा बताया गया कि उत्तर कोयल नहर में 682 क्यूसेक पानी वर्तमान में प्राप्त हो रहा है। इस नहर प्रणाली की क्षमता 2715 क्यूसेक की है। यह नहर प्रणाली मुख्य नबीनगर, कुटुंबा, देव, मदनपुर को पूर्ण रूप से आच्छादित करती है और साथ ही बाकी प्रखंडों के कुछ हिस्सों को भी यह नहर प्रणाली आच्छादित करती है। यदि इस नहर प्रणाली को पूर्ण क्षमता के अनुसार पानी मिलता तो इन 4 प्रखण्ड में पूर्ण रूप से रोपनी हो सकती थी किंतु वर्तमान में झारखंड में डैम का कार्य अधूरे रहने के कारण एक चौथाई पानी ही बिहार को मिल रहा है। नबीनगर में मात्र 39 प्रतिशत रोपनी हुई है, कुटुंबा में 35 प्रतिशत रोपनी हुई है, देव में मात्र 19 प्रतिशत रोपनी हुई है तथा मदनपुर में यह मात्र 6 प्रतिशत है। ये 4 प्रखण्ड अत्यधिक प्रभावित है। पीएचईडी के अभियंता द्वारा बताया गया कि मदनपुर में सिंचाई के निजी संसाधन भी कम है क्योंकि वहां पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण डीप बोरिंग को आवश्यकता होती है। सामान्य बोरिंग से वहां पीने का पानी तो संभव है किंतु सिंचाई के लिए पानी संभव नहीं है। यही स्थिति देव और कुटुंबा के कुछ हिस्सों की है।
विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता द्वारा बताया गया कि 18484 किसान परिवारों द्वारा खेती करने के लिए बिजली कनेक्शन लिए गए है, जो बोरिंग के द्वारा रोपनी कर रहे है। इस जिले में 180 विद्युत फीडर है जिनके माध्यम से 16 घंटे से अधिक बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। जिले में 2787 ट्रांसफार्मर है जिनमे से 6 वर्तमान में खराब है जिन्हे शीघ्र ठीक कर लिया जाएगा। जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि सभी कृषि समन्वयकों एवं किसान सलाहकारों को आकस्मिक फसल के बारे में किसानों को जागरूक करने का निर्देश दिया गया है। जिले में 1,60,442 हेक्टयर में रोपनी होती थी जिसमे इस वर्ष केवल 98,833 हेक्टेयर में ही रोपनी हुई है। शेष भूमि पर आकस्मिक फसल के लिए बीज का वितरण इस माह के अंत से किया जायेगा। 47,285 हेक्टेयर भूमि पर खेती हेतु 7035 क्विंटल बीज की अधियाचना की गई है। ये बीज मक्का, अरहर, उड़द, तोरिया, आगत सरसो, आगत मटर, भिंडी, मूली, कुल्थी इत्यादि के होंगे। जिला पदाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया कि वैसे सभी किसान जो उपरोक्त फसलों के लिए इच्छुक है उसकी सूची पंचायतवार तैयार कर लें, साथ ही वैसी ही भूमि को चिन्हित किया जाय जहॉ उपरोक्त फसल लगाई जा सके। सुखाड से सम्बंधित सभी पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि अलर्ट मोड में रहें एवं जहॉ भी किसानों को जरूरत पड़े तुरन्त हर सम्भव मदद करें। जहां रोपनी 50 प्रतिशत से भी कम है वहां पहले बीज वितरित करना सुनिश्चित करें। जिला पदाधिकारी के द्वारा किसानों के पटवन हेतु डीजल अनुदान के बारे पूछा गया जिस पर जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 अंतर्गत खरीफ मौसम के फसलों में अल्पवृष्टि के कारण सुखाड़ जैसी स्थिति को देखते हुए डीजल चालित पम्पसेट से पटवन करने के लिए सरकार द्वारा किसानों को डीजल अनुदान देने की व्यवस्था की गई है। खरीफ फसलों की डीजल पम्पसेट से सिंचाई के लिए क्रय किये गये डीजल पर 75 रूपये प्रति लीटर की दर से 750 रूपये प्रति एकड़, प्रति सिंचाई डीजल अनुदान दिया जायेगा। धान का बिचड़ा अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1500 रूपये प्रति एकड़ देय होगा। खड़ी फसल में धान, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के अन्तर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 2250 रूपये प्रति एकड़ देय होगा। प्रति किसान अधिकतम 8 एकड़ सिंचाई के लिए देय होगा। अभी तक इस जिले में किसानों के द्वारा 1053 आवेदन ऑन-लाईन किया गया, जिसे कृषि समन्वयकों के द्वारा जॉच किया गया जिसमें 50 आवेदन सही पाया गया एवं 609 आवेदन गलत होने के कारण रद्द किया गया। जिला कृषि पदाधिकारी के पास प्राप्त 35 आवेदनों को भुगतान के लिए अग्रसारित कर दिया गया है। पेयजल के बारे में पीएचईडी द्वारा बताया गया कि पीएचईडी की 694 योजनाएं है जिनमे 6 अभी विभिन्न कारण से खराब है तथा शेष चल रही है। पंचायती राज विभाग से 2128 योजनाएं है जिनमे से पिछले दिनों हुए बुधवारी निरीक्षण एवं आईओटी प्रणाली से प्राप्त जानकारी के अनुसार 600 योजनाएं खराब थी। लगातार समीक्षा कर ग्राम पंचायतों के माध्यम से उन्हें ठीक करवाया गया है और सतत निरीक्षण करवाया जा रहा है। वर्तमान में 400 से अधिक योजनाओं को चालू करवाया गया है और 184 योजनाएं अभी भी ठीक करवाना शेष है जिस पर कार्य किया जा रहा है। जिले में 16860 चापाकल है और नए चापाकल के लिए भी विभाग से आवंटन प्राप्त हो रहा है। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी कर्मियों को कहा गया कि लगभग प्रत्येक दिन वरीय पदाधिकारी क्षेत्र में निकल कर किसानों से बातचीत कर रहे है। सभी संबंधित विभाग भी निरंतर क्षेत्र भ्रमण करें तथा पेयजल, बिजली अथवा सिंचाई से संबंधित समस्याओं को शीघ्र दूर करें। साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों का भी भ्रमण करें जहां के नागरिक प्रखण्ड अथवा जिला नही आ पाते है। किसी भी पदाधिकारी के स्तर से यदि लापरवाही पाई गई था उसे अत्यंत गंभीरता से लिया जायेगा और संबंधित विभाग को अनुशासनिक कार्रवाई हेतु प्रतिवेदित कर दिया जाएगा। समीक्षा में कार्यपालक अभियंता, सोन उच्च स्तर, नहर प्रमण्डल, औरंगाबाद, कार्यपालक अभियंता, उतर कोयल नहर प्रमण्डल, अम्बा, नवीनगर, गुण नियंत्रण सिंचाई सृजन प्रमण्डल, औरंगाबाद, कार्यपालक अभियंता, विधुत औरंगाबाद, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, सहायक निदेशक रसायन, सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण औरंगाबाद, सहायक निदेशक, रसायन, सहायक निदेशक, प्रक्षेत्र, सहायक निदेशक, भूमि संरक्षण, अनुमण्डल कृषि पदाधिकारी, औरंगाबाद एवं सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।