हसपुरा(औरंगाबाद)(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को भृगुरारी स्थित पुनपुन-मदार नदी के संगम में कोरोना को लेकर मेला व सामुहिक स्नान करने पर रोक के बावजूद सैकड़ो श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। पूजा-अर्चना के साथ सुख-समृद्धि के लिए नदी बहती तेज धारा में दीप दान किया।
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गौरतलब है कि भृगुरारी भृगु ऋषि और नकटी भवानी का यह पावन स्थल है। यहां कार्तिक पूर्णिमा को नये जीवन एवं मोक्ष की कामना को लेकर श्रद्धालुओं की भींड़ स्नान करने के लिए उमड़ती है। हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर काफी कम संख्या में श्रद्धालुओं ने कार्तिक स्नान किया। भृगुरारी में पुनपुन-मदार संगम में स्नान करने की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आचार्य पंडित लालमोहन शास्त्री ने कहा पौराणिक ग्रंथों में वर्णन है कि पुनपुन-मदार नदी के संगम तट पर भृगुरारी में ब्रम्हा के मानस पुत्र भृगु ऋषि का आश्रम था। यहां आज भी भृगु ऋषि के आश्रम का प्रमाण मिलता है। यहां एक बड़ी गुफा है तथा उसके ऊंची स्थान पर नकटी भवानी की मंदिर है।
कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन संगम में स्नान कर पूजा-अर्चना करने व संगम के प्रवाहित धारा में दीप दान से सभी तरह के पाप धूल जाते हैं। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि इसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर बलवान असुर का वध किया था। इसे लेकर भृगुरारी स्थित संगम तीर्थ स्थल महत्व बढ़ गया है। यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा को स्नान करने दूर-दूर से महिला-पुरूष पहंचते हैं।