औरंगाबाद(लाइव इंडिया न्यूज 18 ब्यूरो)। ललन बाबू इन दिनों बेचारे बने हुए है। पहले नेता जी थे। बिहार के सत्ताधारी दल जदयू में थें। अभी भी इसी पार्टी में है। पहले पार्टी में चलती थी। चलती के जमाने में पार्टी ने ललन राम जी पर पूरी मेहरबानी की। 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने पहली बार उन्हे कुटुम्बा(सुरक्षित) सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया।
ललन बाबू सीधे-साधे और भोले-भाले है। लिहाजा जनता ने उनके भोलेपन पर भरोसा किया और उन्हे चुनाव जिताकर विधायक बना दिया। विधायक बनते ही उनकी हनक पहले से ज्यादा बढ़ गयी। माननीय बनते ही उनकी चलती चल गयी। मिला जुला के अच्छी खासी हैसियत में आ गये। हैसियत बढ़ी तो विधायक जी को कुछ बुरी आदतें लग गयी। खैर उस वक्त बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू नही थी। लिहाजा पीने-पिलाने पर कोई दिक्कत नही थी। विधायकी के दौर में यह सब मजें में चल रहा था। विधायक के रूप में मजे के साथ ललन बाबू जनता के भी काम में लगे थे। पूरे पांच साल तक कही जय-जय हो रही थी तो कही किसी कारण से लोग नाराज भी थे।
धीरे-धीरे विधायकी का समय पूरा होने का साल 2015 आ गया। ललन बाबू को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी उन्हे दुबारा टिकट देगी लेकिन राजधानी पटना में राजनीतिक उठा पटक के बाद जदयू ने भाजपा का दामन छोड़कर राजद और कांग्रेस का साथ ले लिया। अब नये साथी दलों को भी जदयू को खुश करना था। इस वजह से कांग्रेस को खुश करने के लिए जदयू ने अपनी जीती हुई सीट कांग्रेस को दे दी। कांग्रेस ने राजेश कुमार को उम्मीदवार बनाया जबकि ललन बाबू बेटिकट हो गये। बेटिकट होने के बावजूद उन्होने पार्टी से वफादारी निभाई। गठबंधन के साथी उम्मीदवार का साथ दिया और हमसे उम्मीदवार संतोष मांझी की तगड़ी चुनौती के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी राजेश कुमार चुनाव जीत गये। पूरे पांच साल राजेश जी विधायक रहे। इस बीच जदयू का राजद-कांग्रेस से याराना टूटने से ललन जी को उम्मीद थी कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू उन्हे टिकट देगी लेकिन फिर उन्हे टिकट नही मिला बल्कि हमसे को एनडीए गठबंधन में आ जाने के कारण इस पार्टी के श्रवण भुईयां को उम्मीदवार बना दिया गया। उम्मीद के बीच बेचारे ललन जी फिर बेटिकट हो गये। इधर कांग्रेस के राजेश कुमार फिर से चुनाव जीत गये।
लिहाजा ललन जी फिलहाल पिछले दस साल से राजनीतिक बेरोजगारी का दंश इस कारण झेल रहे है कि पार्टी ने उन्हे कही से किसी तरह का घास नही डाला। इधर अपनी ही पार्टी की पूर्ण शराबबंदी की नीति का भी एक बार खामियाजा ललन जी को भुगतना पड़ा। अब आलम यह है कि बेचारे ललन जी के पास कोई खास कुछ काम नही है। लिहाजा वे राजनीतिक रूप से बेरोजगार से है। इसी बीच ललन जी को पता चला कि नबीनगर पावर जेनरेटिंग कंपनी लि.(एनपीजीसीएल) कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निर्वहन के तहत भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के सहयोग से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देने जा रही है। यहां पर ललन जी को अपनी बेरोजगारी और राजनीतिक बेरोजगारी दोनो को दूर करने के लिए उम्मीद की एक किरण दिखी। लिहाजा पूर्व विधायक ललन जी ने मधुमक्खी पालन की तीन दिनों की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग से पूर्व विधायक अब मधुमक्खी पालन का सारा गुर सीख चुके है। अब उन्होने ईरादा पक्का कर लिया है कि मधुमक्खी पालन कर अपनी बेरोजगारी दूर करेंगे। साथ ही कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र में जगह जगह शिविर लगाकर किसानों को मधुमक्खी पालन करने की ट्रेनिंग भी देंगे। ऐसा करने से एक तो बेरोजगार पूर्व विधायक को आमदनी होगी तो दूसरी ओर इसी बहाने उनके लिए वोट की भी फसल तैयार होगी। तो अब इंतजार कीजिएं पूर्व विधायक ललन बाबू द्वारा उत्पादित किये जाने वाले शुद्ध मधु का स्वाद लेने और मधु का सेवन कर जीवन में ताजगी लाने का।